संवाद सहयोगी, मसूरी। उत्तराखंड प्रदेश के पहाड़ी जिलों के काश्तकारों की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए जायका के सहयोग से उद्यान विभाग आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देगा। काश्तकारों को खेती की जापानी तकनीक के बारे में जानकारी देने के साथ में कृषि यंत्र भी प्रदान किए जाएंगे।
मसूरी के समीप धनोल्टी में सोमवार को उद्यान विभाग की ओर से जायका के विशेषज्ञों की मौजूदगी में काश्तकारों के लिये एक सेमीनार का आयोजन किया गया। इसमें उपस्थित काश्तकारों से उद्यान विभाग और जायका के विशेषज्ञों ने सीधा संवाद किया और खेती की आधुनिक तकनीक के बारे में जानकारी दी। बैठक में उपस्थित उद्यान विभाग के उपनिदेशक एस राम ने बताया कि पहाड़ के काश्तकारों को यहां की जलवायु के अनुरूप कीवी और पहाड़ी मसालों की खेती करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है। क्योंकि, इनका बाजार मूल्य अन्य फसलों के मुकाबले बहुत ज्यादा होता है। बाजार में इनकी मांग भी बहुत होती है।
उन्होंने कहा कि अगर इस योजना को काश्तकार सही रूप में अंगीकार करेंगे व योजना धरातल पर पूरी तरह से लागू होगी तो पलायन का दंश झेल रहा पहाड़ी क्षेत्र के लोग की आर्थिकी बहुत मजबूत हो जाएगी। उपनिदेशक उद्यान विभाग एस राम ने बताया कि भारत सरकार व जापान की जायका की मदद से योजना के पहले चरण में उत्तराखंड के उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, पिथौरागढ़ और नैनीताल में 526 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें काश्तकारों को जापानी तकनीक से फल, सब्जी, मसालों की खेती के गुर सिखाए जाएंगे। योजना में एक हेक्टेयर क्षेत्र में पच्चीस सौ से तीन हजार तक पौधे रोपे जाएंगे। साथ में जापानी तकनीक के अनुसार जमीन से ऊपर मचान बनाकर भी खेती की जाएगी। जिससे अधिक उपज काश्तकार को मिलेगी।
सेमिनार में उपस्थित जापान सरकार के मुख्य सलाहकार ग्रामीण आथोरिटी आईकावा जायरो ने बताया कि वह पहली बार भारत आए हैं। यहां के काश्तकारों को स्मार्ट खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिकी मजबूत हो सके।