निवेशकों के बीच सोने की खरीदारी को लेकर परंपरागत रूची को देखते हुए सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश का भी विकल्प दिया है। इसमें निवेशकों को काफी फायदा भी हुआ है, लेकिन मौजूदा समय में बाजार में सोना सरकारी की तरफ से जारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के भाव से कम दाम में मिल रहा है। इसको लेकर निवेशकों में असमंजस की स्थिति है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि सुविधा और लंबी अवधि में लाभ को देखते हुए बॉन्ड ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।
सोना दो हजार रुपये से ज्यादा सस्ता हुआ
पिछले कुछ दिनों में सोने की कीमत दो हजार रुपये से अधिक टूट चुकी है जिससे इसके दाम गोल्ड बॉन्ड से नीचे आ चुकी है। गुरुवार को सोना 422 रुपये की तेजी साथ 46531 रुपये प्रति 10 ग्राम रहा, जबकि गोल्ड बॉन्ड की हाल में जारी हुई पांचवी सीरीज की कीमत 47900 रुपये प्रति 10 ग्राम या 4790 प्रति ग्राम थी। इससे सोना खरीदना सस्ता और बॉन्ड में निवेश महंगा हो गया है।
बॉन्ड पर मेकिंग चार्ज और जीएसटी नहीं
जब गोल्ड ज्वैलरी खरीदते हैं तो मेकिंग चार्ज और जीएसटी का भुगतान करना होता है लेकिन गोल्ड बॉन्ड के मामले में ऐसा नहीं है। इन पर न ही जीएसटी है और न ही मेकिंग चार्ज का झंझट। ज्वैलरी पर 35 फीसदी तक मेकिंग चार्ज लगता है। इसके अलावा ज्वेलरी या भौतिक सोने के मामले में शुद्धता को लेकर भी आशंका बनी रहती है। जबकि गोल्ड बॉन्ड में ऐसा नहीं है।
ऑनलाइन भुगतान पर छूट
गोल्ड बॉन्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन करने और ऑनलाइन ही भुगतान करने पर छूट मिलता है। हाल के दिनों में रिजर्व बैंक ने जितने भी गोल्ड बॉन्ड जारी किए हैं उसमें ऑनलाइन भुगतान पर तय कीमत से 50 रुपये की छूट मिली है। यानी बॉन्ड में निवेश करते ही 50 रुपये प्रति एक ग्राम का लाभ निवेशकों को हो जाता है।
कभी भी बेचने की सुविधा
गोल्ड बॉन्ड का लॉक-इन-पीरियड तय होता है। इसके बावजूद जरूरत पर आप इसे शेयरों की तरह बाजार में बेच सकते हैं। लाभ या हानि उस समय के बाजार भाव पर निर्भर करती है। साथ समय से पहले बेचने पर केवल टैक्स बचत का नुकसान होता है। वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि ज्वेलरी या भौतिक सोने को बेचकर नकदी लेने में बहुत परेशानी होती है। ज्यादातर ज्वैलर नकदी की बजाय बदले में दूसरी ज्वैलरी देना ही पसंद करते हैं। वहीं नकदी मिलने पर भी मेकिंग चार्ज का भारी-भरकम नुकसान होता है।
बॉन्ड में निवेश सस्ता
गोल्ड बॉन्ड आप एक ग्राम सोने की कीमत में भी खरीद सकते हैं, जबकि ज्वैलरी के मामले में ऐसा नहीं है और वह दो ग्राम या उससे अधिक वजह में ही आती है। यही वजह है कि गोल्ड बॉन्ड को सोने में निवेश का सबसे सस्ता विकल्प माना जाता है। जरूरत पड़ने पर निवेशक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर लोन भी ले सकता है और इस मामले में यह भौतिक सोने या ज्वैलरी की तरह काम करता है। इसपर लोन की शर्तें भी गोल्ड लोन वाली होती हैं।
बॉन्ड से लाभ पर कर मुक्त
गोल्ड बॉन्ड खरीदे जाने के आठ साल पूरा होने के बाद ग्राहक को प्राप्त होने वाला रिटर्न पूरी तरह टैक्स फ्री है। लेकिन प्रीमैच्योरली एग्जिट करने पर बॉन्ड के रिटर्न पर अलग-अलग टैक्स रेट लागू हैं। हालांकि, गोल्ड बॉन्ड पर मिलने वाले ब्याज को करदाता की अन्य सोर्स से इनकम में काउंट होता है, इसलिए टैक्स भी इसी के आधार पर लगता है। आमतौर पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का लॉक इन पीरियड पांच साल है। इस अवधि के पूरा होने के बाद और मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने से पहले गोल्ड बॉन्ड की बिक्री से आने वाला रिटर्न लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में रखा जाता है। इसके तहत 20 फीसदी टैक्स और चार फीसदी सेस और सरचार्ज लगता है।