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देश में मिले Monkeypox का स्ट्रेन ‘सुपर स्प्रेडर’ नहीं, खौफ के कारण मामूली एलर्जी से भी दहशत में आ रहे हैं लोग

Monkeypox से जुड़ी राहत भरी खबर सामने आई है, भारत में मिले संक्रमितों की जीनोम सीक्वेंसिंग से साफ हुआ है कि यहां इसका स्ट्रेन सुपर स्प्रेडर नहीं है, फिर भी डॉक्टरों ने सतर्क रहने की अपील की है.

देश में मिले Monkeypox के पहले दो मरीजों की जीनोम सीक्वेंसिंग में यह जानकारी सामने आई है कि भारत में मिला वायरस का स्ट्रेन, यूरोप और अमेरिका से अलग है. यूरोप में मिला स्ट्रेन सुपर स्प्रेडर कैटेगरी में है, जबकि भारत में मिला Monkeypox वायरस के साथ ऐसा नहीं है. पहले दोनों मरीज केरल से मिले थे. इन दोनों मरीजों में वायरस का ए.2 क्लैड मिला है, जोकि पिछले साल फ्लोरिडा में मिला था. अभी Monkeypox के जिस स्ट्रेन से जुड़े मामले पूरी दुनिया में मिला है, फिलहाल भारत का इससे कोई संबंध नहीं है.

CSIR-IGIB के सीनियर वैज्ञानिक ने बताया कि पूरी दुनिया में Monkeypox के 60 फीसदी से ज्यादा मामले यूरोप में मिल रहे हैं. ज्यादातर जगहों पर वायरस का बी.1 क्लैड फैल रहा है, इस समलैंगिकता से जोड़कर देखा जा रहा है. 540 रोगियों से जुड़े एक रिसर्च में सामने आया है कि फीसदी मरीज समलैंगिक थे. डॉ. विनोद स्कारिया का कहना है कि “वायरस के A.2 क्लैड के सुपर स्प्रेडर होने के सबूत नहीं मिले हैं. हमारा मानना है कि केरल के दोनों मरीज किसी संयोग के चलते संक्रमित हुए हैं. 

मामूली एलर्जी से भी दहशत आ रहे हैं लोग

10 महीने की बच्ची पूजा (बदला हुआ नाम) के हाथों और पैरों में छाले हो गए. इसे मंकीपॉक्स का संक्रमण होने के डर से, माता-पिता बच्चे को एक त्वचा विशेषज्ञ के पास ले गए. हालांकि डॉक्टर ने इसे कीड़े के काटने की प्रतिक्रिया के रूप में पहचाना. पूजा अकेली नहीं है. भारत में मंकीपॉक्स फैलने की खबर के साथ-साथ सोशल मीडिया, न्यूज पोर्टल्स और चैनलों के माध्यम से डरावने फफोले और चकत्ते की तस्वीरें प्रसारित की जा रही हैं, जो लोगों में घबराहट और भय की भावना पैदा कर रहे हैं, जो तब तेजी से त्वचा विशेषज्ञों के पास अपनी जांच के लिए आते हैं.

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के त्वचा विशेषज्ञ सीनियर कंसल्टेंट डॉ सचिन धवन ने कहा, “हां, हमें लोगों के यह सोचने के बारे में बहुत सारे प्रश्न मिल रहे हैं कि रैशेज मंकीपॉक्स हैं. जबकि रैशेज मंकीपॉक्स हो सकते हैं, किसी को यह समझना होगा कि मंकीपॉक्स में बुखार आदि जैसे अन्य प्रणालीगत लक्षण भी होंगे.”उन्होंने 10 महीने के बच्चे का इलाज किया था.

उन्होंने कहा, “हमें रैशेज के बारे में और अधिक प्रश्न मिल रहे हैं, जो Monkeypox की तरह लग सकते हैं या तस्वीरें जो इंटरनेट पर हैं, हाथों और पैरों पर पानी से भरे फफोले के साथ, ऐसा कुछ भी, एक कीड़े के काटने या एलर्जी हो सकता है.”रमनजीत सिंह, सीनियर कंसल्टेंट, डर्मेर्टोलॉजी, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम के अनुसार, “जिन लोगों के चेहरे या पीठ पर मुंहासे हैं, वे भी डर रहे हैं कि घाव मंकीपॉक्स के हैं या नहीं.”

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