राज्य ब्यूरो, पटना। शायद यह पहली बार होगा जब किसी आधारभूत संरचना से जुड़े प्रोजेक्ट में दी गई ऋण राशि को बैंक टोल की राशि से वसूलेंगे। मामला पटना के बख्तियारपुर से समस्तीपुर के ताजपुर के बीच गंगा नदी पर बनने वाले मेगा ब्रिज का है। पुल सेक्टर में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में बनने वाला यह पुल है। वर्ष 2011 के नवंबर से यह बन रहा। इस प्रोजेक्ट के लिए बैंक ने 474 करोड़ रुपए ऋण निर्माण एजेंसी को दिए थे जो अब बढ़कर 500 करोड़ से ऊपर हो गए हैं। निर्माण एजेंसी ने यह कह कर हाथ खड़े कर दिए हैं कि उसके पास निर्माण के लिए पैसे नहीं हैं। बैंक से ली गई राशि उसने प्रोजेक्ट में लगा दी है। ऐसे में बैंक की राशि फंस गई है। निर्माण अभी पचास फीसद से आगे नहीं बढ़ पाया है।
सरकार के स्तर पर कई बार इस प्रोजेक्ट के काम को पूरा किए जाने को ले निर्माण एजेंसी व बैंक के स्तर पर बातचीत नहीं बनी। इसके बाद सरकार ने यह तय किया है कि वह अब अपने स्तर से इस प्रोजेक्ट के लिए राशि की व्यवस्था कर काम को पूरा कराएगी। इसके लिए विशेष तौर राशि की व्यवस्था करायी जाएगी। बैैंक का हित देखते हुए यह तय हुआ है कि बैंकों ने जो राशि इस प्रोजेक्ट के लिए दिए हैैं उसकी वसूली वह इस पुल के बन जाने के बाद टोल की राशि से कर ले। जब बैंकों द्वारा दी गयी ऋण राशि की वसूली पूरी हो जाएगी तब सरकार के स्तर पर पुल पर टोल की वसूली की जाएगी। इस तरह से पुल का निर्माण कार्य संभव हो सकेगा। पूर्व में यह योजना था कि इस पुल के निर्माण के लिए नए सिरे से निविदा की जाएगी।
वाइबिलिटी गैप फंड के तहत उपलब्ध होगी कुछ राशि
एक दशक से भी अधिक समय से अटके इस प्रोजेक्ट के लिए कुछ राशि वाइबिलिटी गैप फंड के तहत भी उपलब्ध हो जाएगी। पीपीपी मोड में बनने वाले आधारभूत प्रोजेक्ट के लिए तय फारमूले के तहत एक तय प्रतिशत सरकार द्वारा भी उपलब्ध कराया जाता है। पुल की अनुमानित लागत 1044 करोड़ तक पहुंच गयी है। पुल की लंबाई 51 किमी है। इसमें पुल 5.50 किमी लंबा है और 46 किमी लंबाई वाला एप्रोच रोड है।
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