राजीव कुमार, नई दिल्ली। मधुबनी पेंटिंग, मणिपुर के काले चावल, बीकानेर की भुजिया जैसी चीजों का अब कारोबारी आसानी से निर्यात कर सकेंगे। आगामी विदेश व्यापार नीति में ई-कामर्स निर्यात के लिए कई बदलाव किए जा रहे हैं ताकि एमएसएमई अपने उत्पादों को सीधे ग्राहकों तक भेज सकें। इस माह के आखिर तक घोषित होने वाली नई विदेश व्यापार नीति (2021-26) में पहली बार रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) निर्यात को भी जोड़ा जा रहा है।
चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 400 अरब डालर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में नई विदेश व्यापार नीति अहम भूमिका निभा सकती है।मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक अभी ई-कामर्स निर्यात को रेमिशन आफ ड्यूटीज एंड टैक्सेज आन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स (रोडटेप) या अन्य किसी स्कीम का लाभ नहीं मिलता है। नई विदेश व्यापार नीति में ई-कामर्स निर्यात को भी इस प्रकार के लाभ दिए जा सकते हैं ताकि छोटे उद्यमी निर्यात के लिए प्रोत्साहित हो सके। निर्यातकों के मुताबिक अभी ई-कॉमर्स के लिए आरबीआइ के अलग नियम है तो सीमा शुल्क विभाग ने अलग नियम बना रखे हैं। सूत्रों के मुताबिक ई-कॉमर्स निर्यात से जुड़े सभी नियमों को समाप्त कर विदेश व्यापार नीति में नए नियम लाए जाएंगे।
खत्म हो सकते हैं कई तरह के प्रतिबंध
अभी ई-कामर्स निर्यात के लिए निर्यातकों को इलेक्ट्रानिक बैंक रियलाइजेशन सर्टिफिकेट (ईबीआरसी) लेना पड़ता है जिससे उनका मार्जिन प्रभावित होता है। निर्यातकों के मुताबिक 20-25 हजार रुपये के सामान का ई-कामर्स निर्यात करने पर उन्हें दो-ढाई हजार रुपए बचते हैं और ईबीआरसी लेने की वजह से उस दो-ढाई हजार में से 500-1000 रुपये बैंक को देना पड़ जाए तो ऐसे निर्यात का क्या फायदा।
वैसे ही कस्टम क्लीयरेंस में ई-कॉमर्स निर्यात के लिए पांच लाख रुपये तक की सीमा है। सूत्रों के मुताबिक नई नीति में इस प्रकार की सीमाओं को समाप्त किया जाएगा। ई-कामर्स निर्यात के प्रोत्साहन के लिए लाजिस्टिक सपोर्ट के साथ उनके लिए अलग से वेयरहाउस तैयार करने की घोषणा भी नई नीति में हो सकती है।
भौगोलिक संकेत (जीआई) से जुड़े उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए सरकार को ई-कामर्स निर्यात को प्रोत्साहित करना होगा और तभी छोटे उद्यमी आसानी से सीधे विदेशी खरीदार को अपना सामान बेच सकेंगे। अभी की नीति में यह आसानी से संभव नहीं है। -अजय सहाय, सीईओ और महानिदेशक, फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन (फियो)