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कुमार मंगलम बिड़ला के खत ने बढ़ाई मुश्किलें, क्या बंद हो जाएगी वोडाफोन-आइडिया, 1.8 लाख करोड़ का है सवाल

Vodafone-Idea

Vodafone-Idea: कुमार मंगलम बिड़ला ने केंद्र सरकार को लिख खत में कहा है कि वह कंपनी को बचाने के लिए अपनी प्रमोटर हिस्सेदारी छोड़ने को तैयार हैं.

कर्ज में डूबी टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vi) अब बंद होने के कगार पर पहुंच गई है. आदित्य बिड़ला ग्रुप (Aditya Birla Group) के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला की एक चिट्ठी ने वोडा-आइडिया के सब्सक्राइबर्स के होश उड़ गए हैं. दरअसल, कुमार मंगलम बिड़ला ने केंद्र सरकार को लिख खत में कहा है कि वह कंपनी को बचाने के लिए अपनी प्रमोटर हिस्सेदारी छोड़ने को तैयार हैं. बता दें कि वोडाफोन आइडिया में उनकी हिस्सेदारी 27 फीसदी और ब्रिटिश टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन पीएलसी की हिस्सेदारी 44 फीसदी है. कंपनी का मौजूदा मार्केट कैप 21,264 करोड़ रुपए है.

Vodafone Idea पर करीब 1.8 लाख रुपए का कर्ज है. वोडाफोन पीएलसी पहले ही कंपनी में अपना पूरा निवेश बट्टे खाते में डाल चुकी है. कंपनी के बोर्ड ने पिछले साल सितंबर में 25,000 करोड़ रुपए की पूंजी जुटाने की घोषणा की थी, लेकिन कंपनी को इसमें सफलता नहीं मिली.

10 फीसदी से ज्यादा टूटा शेयर

मंगलवार को बीएसई पर वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का शेयर 10 फीसदी से ज्यादा टूटकर बंद हुआ. कुमार मंगलम बिड़ला द्वारा केंद्र सरकार को लिखे गए खत की खबर से कंपनी का शेयर टूटा है. मंगलवार को यह 10.30 फीसदी टूटकर 7.40 रुपए पर बंद हुआ. इस स्तर पर कंपनी का मार्केट कैप 21,264.19 करोड़ रुपए हो गया.

तीन साल में वोडाफोन आइडिया के स्टॉक में 78 फीसदी की गिरावट आई है. अगस्त 2018 में कंपनी के शेयर का भाव 33.30 रुपए प्रति शेयर था, जो अब लुढ़कर 7.40 रुपए पर आ गया.

कंपनी पर 1.8 लाख करोड़ रुपए का कर्ज

वोडाफोन आइडिया का कर्ज पिछले 4 साल में कई गुना बढ़ा है. वित्त वर्ष 2016 के अंत में यह 37,000 करोड़ रुपए था जो अब बढ़कर 1.8 लाख करोड़ रुपए पहुंच चुका है. इसमें स्पेक्ट्रम की देनदारी और एजीआर बकाया शामिल है. पिछले महीने AGR कैलकुलेशन में सुधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया की याचिका को खारिज कर दिया था. वोडाफोन आइडिया के मुताबिक उस पर 21,500 करोड़ रुपए का एजीआर बकाया है, जिसमें से वह 7,800 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है. वहीं DoT के मुताबिक, कंपनी पर करीब 53,000 करोड़ रुपए का एजीआर बकाया है.

अगर वोडाफोन सरकार को अपना बकाया चुकाने में विफल रहता है और इन गारंटी को लागू किया जाता है, तो यह तुरंत कर्ज में बदल जाएगा और जल्द ही एक नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा. पीएसयू बैंकों पर असर उनके एक्सपोजर जितना बड़ा नहीं होगा क्योंकि हाल के वर्षों में, लेंडर्स अपनी गारंटी के लिए वोडाफोन से काफी अधिक कैश मार्जिन की मांगे हैं.

समझा जाता है कि आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) के पास दी गई गारंटियों के लिए 40% तक मार्जिन है. लेकिन फिर भी यह इतना बड़ा होगा कि कइयों के मुनाफे को साफ कर देगा. कर्ज की वसूली वोडाफोन आइडिया के बचे हुए ऑपरेशन से किया जाएगा.

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