All for Joomla All for Webmasters
उत्तराखंड

यहां पहली बार दिखी उड़न गिलहरी, सिर्फ रात में नजर आता है ये नन्हा जीव; विलुप्ति की कगार पर

gilehri

अजय खंतवाल, कोटद्वार। Indian giant flying squirrel गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंटल सेंटर मुख्यालय के साथ ही नैसर्गिक सौंदर्य के चलते विश्वविख्यात पर्यटन नगरी लैंसडौन (उत्तराखंड ) में उड़न गिलहरी (इंडियन जाइंट फ्लाइंग स्क्वायरल) नजर आई है। यह पहला मौका है, जब लैंसडौन के आसपास प्रकृति प्रेमियों ने उड़न गिलहरी का दीदार किया है। सिर्फ रात में नजर आने वाला यह नन्हा जीव किस कदर विलुप्ति के कगार पर खड़ा है, इसका अंदाजा महज इस बात से लगाया ला सकता है कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम में इस जीव को शेड्यूल-टू में रखा गया है।

लैंसडौन और आसपास के क्षेत्रों में वन्य जीवों को कैमरे में कैद करने के शौक ने वन्य जीव प्रेमी विनीत बाजपेयी को एक जीव से रूबरू करवा दिया, जिसकी लैंसडौन में मिलने की उम्मीद शायद ही थी। विनीत के कैमरे में वह इंडियन जाइंट फ्लाइंग स्क्वायरल कैद हुई, जिसे वन महकमे ने दुर्लभ जीवों की सूची में रखा हुआ है। कोटद्वार, लैंसडौन सहित आसपास के क्षेत्रों में इंडियन जाइंट फ्लाइंग स्क्वायरल करीब-करीब गायब ही हो गया था।

करीब सात वर्ष पूर्व लैंसडौन वन प्रभाग की दुगड्डा रेंज में पक्षी जानकारी राजीव बिष्ट को उड़न गिलहरी नजर आई थी, लेकिन लैंसडौन में उड़न गिलहरी पहली बार नजर आई है। क्षेत्र, जहां नजर आती है इंडियन जाइंट फ्लाइंग स्क्वायरलभारत के साथ ही इंडियन जाइंट फ्लाइंग स्क्वायरल चीन, इंडोनेशिया, म्यामार, श्रीलंका, ताइवान व थाइलैंड में पाई जाती है। लैंसडौन वन प्रभाग के वर्किंग प्लान पर नजर डालें तो प्रभाग की लालढांग रेंज में ही इंडियन जाइंट फ्लाइंग स्क्वायरल नजर आने का उल्लेख है। हालांकि, पिछले तीन दशकों से लालढांग क्षेत्र में भी यह नजर नहीं आई है। यहां बताना जरूरी है कि यह उड़न गिलहरी चीड़ और साल के जंगलों में पाई जाती है। ऐसे में लैंसडौन में उड़न गिलहरियों की संख्या अधिक होगी, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

एफआरआइ ने भी की थी पुष्टि

बीते वर्ष उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र (एफआरआइ) ने पूरे प्रदेश में उड़न गिलहरी की मौजूदगी को लेकर सर्वे किए। इसके लिए अलग-अलग स्थानों पर कैमरे ट्रैप लगाकर उड़न गिलहरी की तलाश की गई। सर्वे से प्राप्त परिणाम लैंसडौन वन प्रभाग के लिए सुखद रहे। प्रभाग के जंगल में 30-45 सेंटीमीटर लंबी उड़न गिलहरी देखी गई। अब लैंसडौन में भी उड़न गिलहरी दिखने के बाद वन महकमे के चेहरे पर भी मुस्कान है।

लैंसजौन वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी दीपक कुमार का कहना है कि लैंसडौन वन प्रभाग में इंडियन जाइंट फ्लाइंग स्क्वायरल की मौजूदगी वाकई रोमांचित कर देती है। दुर्लभ प्रजाति के जीव की हमारे आसपास मौजूदगी इस बात की स्पष्ट संकेत है कि हमारे जंगल वन्य जीवों के प्राकृतावास के लिए बेहतर हैं।

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top