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Expert Advice: दोपहर में चावल खाने के बाद क्यों आती है तेज नींद और सुस्ती, जानें असरदार उपाय

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भारत के कोने-कोने में चावल का इस्तेमाल किया जाता है. कई एक्सपर्ट्स भी कहते हैं कि दिन के समय में आपको चावल जरूर खाने चाहिए. क्योंकि, यह कार्ब्स और एनर्जी का बेहतर स्त्रोत होता है. लेकिन समस्या यह होती है कि दिन में चावल खाने के बाद तेज नींद व सुस्ती आने (Rice Side Effects) लगती है. जो कि थोड़ा दिक्कत भरा हो सकता है. लेकिन न्यूट्रिशनिस्ट पूजा मखीजा ने इससे बचने का रास्ता बताया है.

लंच में चावल खाने के बाद क्यों आती है सुस्ती या नींद? (Drowsiness after eating rice)
छुट्टी वाले दिन को छोड़ दिया जाए, तो दिन में नींद आना काफी बड़ी समस्या हो सकती है. दरअसल, दीपिका पादुकोण, करण जोहर जैसे सेलिब्रिटी को सलाह देने वाली न्यूट्रिशनिस्ट पूजा मखीजा ने चावल खाने के बाद आने वाली नींद का कारण बताया.

पूजा मखीजा के मुताबिक, किसी भी कार्ब्स का शरीर पर एक जैसा ही प्रभाव पड़ता है और चावल भी उसी तरह का प्रभाव डालता है. जब कोई कार्ब्स युक्त आहार हमारे शरीर में जाता है, तो ग्लूकोज में बदलता है और ग्लूकोज को इस्तेमाल करने के लिए शरीर इंसुलिन का उत्पादन करता है. जब शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ता है, तो यह एसेंशियल फैटी एसिड ट्रिप्टोफैन को दिमाग में प्रवेश करने के लिए प्रेरित करता है. जिसके कारण मेलोटोनिन और सेरोटोनिन का स्तर बढ़ने लगता है, जो कि आराम पहुंचाने वाले हॉर्मोन हैं. जिसके कारण शरीर को सुस्ती और नींद आने लगती है.

चावल खाने के बाद आई सुस्ती से बचने के तरीके
कार्ब्स के प्रति नर्वस सिस्टम की यह प्रक्रिया काफी सामान्य है. जिसमें वह शरीर के बाकी सभी कार्यों को धीमा कर देता है और सिर्फ पाचन पर फोकस हो जाता है. लेकिन, चावल खाने के बाद आई सुस्ती और नींद से बचने के कुछ बेहतरीन उपाय भी हैं. जैसे-

  1. लंच में बहुत ज्यादा मात्रा में खाना ना खाएं. जितना ज्यादा आप खाएंगे, शरीर उसे पचाने में उतनी ज्यादा मेहनत करेगा और आपको उतनी ही ज्यादा सुस्ती आएगी. इसलिए आप लंच में बहुत ज्यादा खाना या चावल ना खाएं.
  2. दूसरा तरीका यह है कि आपको खाने में 50 प्रतिशत सब्जियां, 25 प्रतिशत प्रोटीन और 25 प्रतिशत कार्ब्स वाले फूड शामिल करने चाहिए. याद रखें कि प्रोटीन के सेवन से भी ट्रिप्टोफैन का स्तर बढ़ता है, इसलिए उसके भी ज्यादा सेवन से बचें.

यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.

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