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शेयर बाजार

Share Allotment Process: लगातार अप्लाई करने के बावजूद आईपीओ से नहीं मिला कोई शेयर? जानिए क्या है अलॉटमेंट प्रॉसेस

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Share Allotment Process: यह जानना जरूरी है कि आईपीओ में अलॉटमेंट की प्रक्रिया क्या है ताकि अगली बार आईपीओ में आवेदन करते समय अपने नाम को लकी लिस्ट में शामिल होने के चांसेज बढ़ा सकें.

IPO Allotment Process: अधिकतर लोगों की शिकायत होती है कि वह हर कंपनी के आईपीओ के लिए आवेदन करते हैं लेकिन उन्हें कभी शेयर नहीं अलॉट होते हैं. ऐसा तब होता है जब आरक्षित हिस्सा ओवरसब्सक्राइब हो जाता है. ओवरसब्सक्राइब उस स्थिति को कहते हैं जब कंपनी ने जितने शेयरों को जारी करने के लिए आईपीओ निकाला है, उससे अधिक शेयरों के लिए कंपनी को आवेदन मिले हों. ऐसी स्थिति में जितने शेयरों के लिए आवेदन किया जाता है, उतने शेयर नहीं मिल पाते हैं और कई आवेदकों को एक भी शेयर नहीं मिलते हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आईपीओ में अलॉटमेंट की प्रक्रिया क्या है ताकि अगली बार आईपीओ में आवेदन करते समय अपने नाम को लकी लिस्ट में शामिल होने के चांसेज बढ़ा सकें.

इस साल 2021 में आईपीओ की बारिश हो रही है और खुदरा निवेशकों की इसमें जबरदस्त दिलचस्पी दिख रही है. खुदरा निवेशकों की दिलचस्पी का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्से को जबरदस्त सब्सक्रिप्शन बिड मिलते हैं. बता दें कि आईपीओ के जरिए शेयर अलॉटमेंट को क्वालिफाईड इंस्टीट्यूशनल बॉयर्स (QIB), नॉन-इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स और रिटेल इंवेस्टर्स के लिए आरक्षित किया जाता है यानी कि हर प्रकार के निवेशकों की श्रेणी के लिए आईपीओ का कुछ हिस्सा आरक्षित रहता है.

क्वालिफाईड इंस्टीट्यूशनल बॉयर्स के लिए अलॉटमेंट प्रॉसेस

QIB के मामले में शेयरों को अलॉट करने की अधिकार मर्चेंट बैंकर के पास होता है और वह अपने विवेक पर इसका फैसला लेता है. आईपीओ के ओवरसब्सक्राइब होने पर शेयरों को आनुपातिक आधार पर अलॉट किया जाता है. इसका मतलब हुआ कि अगर शेयर्स 4 गुना ओवरसब्सक्राइब हुए हैं तो 10 लाख शेयरों के लिए आवेदक को महज 2.5 लाख शेयर मिलेंगे.

खुदरा निवेशकों के लिए अलॉटमेंट की ये है प्रक्रिया

नियमों के मुताबिक खुदरा निवेशक अधिकतम 2 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं यानी कि वे किसी आईपीओ में अधिकतम 2 लाख रुपये तक के लिए ही बोली लगा सकते हैं. खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्सा अगर अधिक ओवरसब्सक्राइब नहीं हुआ है तो सभी आवेदकों को कम से कम लॉट एलॉट किया जाता है और बचे शेयरों को आनुपातिक आधार पर अलॉट किया जाता है. इसके विपरीत अगर कोई आईपीओ बहुत अधिक ओवरसब्सक्राइब हुआ है तो लकी ड्रॉ के जरिए अलॉटमेंट होता है और यह एक कंप्यूटरीकृत व्यवस्था है यानी कि इसमें कोई पक्षपात नहीं होता है. इसका मतलब हुआ कि खुदरा निवेशकों को अधिक लॉट और अपने परिजनों के नाम से बोली लगानी चाहिए जिससे अलॉटमेंट के चांसेज बढ़ जाते हैं.

हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स के लिए अलॉटमेंट प्रॉसेस

आमतौर पर एचएनआईज (हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स) आईपीओ में बड़ी राशि का निवेश करते हैं और इन्हें निवेश के लिए वित्तीय संस्थान पूंजी उपलब्ध कराते हैं. हालांकि यह जरूरी नहीं है कि एचएनआई ने जितने शेयरों के लिए आवेदन किया है, उतने उन्हें मिल ही जाएं. अगर किसी एचएनआई ने 10 लाख शेयरों के लिए आवेदन किया है और एचएनआई के लिए आरक्षित हिस्सा 150 गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ है तो उसे 6666 शेयर अलॉट किए जाएंगे.

हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स के लिए अलॉटमेंट प्रॉसेस

आमतौर पर एचएनआईज (हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स) आईपीओ में बड़ी राशि का निवेश करते हैं और इन्हें निवेश के लिए वित्तीय संस्थान पूंजी उपलब्ध कराते हैं. हालांकि यह जरूरी नहीं है कि एचएनआई ने जितने शेयरों के लिए आवेदन किया है, उतने उन्हें मिल ही जाएं. अगर किसी एचएनआई ने 10 लाख शेयरों के लिए आवेदन किया है और एचएनआई के लिए आरक्षित हिस्सा 150 गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ है तो उसे 6666 शेयर अलॉट किए जाएंगे.

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