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उत्तराखंड

मंत्री डा धन सिंह रावत ने कहा पुनर्वास नीति में संशोधन करेगी सरकार

dhansinghrawat

राज्य ब्यूरो, देहरादून। आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में प्रदेश सरकार पुनर्वास एवं विस्थापन नीति-2011 में संशोधन करने जा रही है। इसके तहत क्षति के मानकों में बदलाव करने समेत अन्य कदम उठाए जाएंगे। अगली कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव लाया जाएगा। विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास मंत्री डा धन सिंह रावत ने सदन को यह जानकारी दी। वह, विधायक हरीश धामी की ओर से कार्यस्थगन के तहत उठाए गए आपदा से संबंधित मुद्दे का जवाब दे रहे थे।

कैबिनेट मंत्री डा रावत ने कहा कि आपदा प्रभावितों के पुनर्वास एवं विस्थापन को लेकर सरकार गंभीर है। साढ़े चार साल के वक्फे में 304 आपदा प्रभावित परिवारों का पुनर्वास किया गया है, जिस पर 32 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। आपदा प्रभावितों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से गढ़वाल व कुमाऊं क्षेत्र में हेलीकाप्टरों की तैनाती की गई है। कुमाऊं क्षेत्र में हेलीकाप्टर ने 145 घंटे की उड़ान भरी, जिसमें 133 घंटे की उड़ान धारचूला क्षेत्र की है। इसके अलावा सड़कों को तुरंत खोलने के मकसद से 371 जेसीबी मशीनें तैनात की गई हैं।

उन्होंने कहा कि आपदा में क्षति के मुआवजे के मानक केंद्र सरकार तय करती है और उसी के आधार पर राज्य में भी प्रविधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पुनर्वास एवं विस्थापन नीति-2011 में संशोधन करने जा रही है। इसके तहत यह प्रविधान भी किया जा रहा कि आपदा में क्षति होने पर एक ही घर में अलग-अलग रह रहे परिवारों को मुआवजा राशि दी जाए। साथ ही पशु हानि भी वास्तविक संख्या के आधार पर दी जाएगी। पहले गोशाला के ध्वस्त होने पर 30 बकरी, पांच गाय व चार बैलों की मृत्यु होने पर ही क्षतिपूर्ति का प्रविधान था। उन्होंने कहा कि क्षतिपूर्ति की राशि भी बढ़ाने का विचार है।

इससे पहले विधायक हरीश धामी ने कहा कि धारचूला क्षेत्र में वर्ष 2017 से 2021 तक आपदा से भारी क्षति हुई है। बावजूद इसके आपदा प्रभावितों की सुध लेने के प्रति सरकार संवेदनहीन बनी हुई है। पूर्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने तो क्षेत्र का जायजा लेने तक की जहमत नहीं उठाई। उन्होंने कहा कि पुनर्वास नीति-2011 के मानकों में कई खामियां हैं। इसमें वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर क्षतिपूर्ति देने का प्रविधान है, जबकि तब से परिवारों की संख्या काफी बढ़ चुकी है। ऐसे में एक ही घर में रहने वाले एक से अधिक परिवारों को आपदा में क्षति पर मुआवजा एक ही परिवार को मिलता है। उन्होंने कहा कि यदि चट्टान गिरने से उसकी चपेट में आकर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है और वह सरकारी नौकरी में रहा है तो उसे मुआवजा नहीं मिलता। उन्होंने दारमा व चौदास घाटी में मार्ग बंद होने की बात भी कही। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि आपदा में क्षति की गणना मौजूदा स्थिति के हिसाब से होनी चाहिए।

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