All for Joomla All for Webmasters
दुनिया

दोहा में भारत ने तालिबान के जिस नेता से की मुलाकात, जानिए उसकी राजनीतिक हैसियत कितनी है

शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई को फिर से तालिबान के विदेश मंत्रालय में जिम्मेदारी मिल सकती है. उसने ‘अमेरिका और अफगान सरकार के साथ कई दौर की शांति वार्ता’ में तालिबान का प्रतिनिधित्व किया है.

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पहली बार भारत ने आधिकारिक रूप से किसी तालिबानी नेता से मुलाकात की. भारतीय राजदूत दीपक मित्तल और तालिबानी नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई के बीच ये मुलाकात मंगलवार को दोहा में हुई. तालिबान में मोहम्मद अब्बास की बड़ी राजनीतिक हैसियत है. अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार में मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के राष्ट्रपति बनने की संभावना है, तो वहीं शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई के विदेश मंत्री बनने की उम्मीद है.

मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई पिछले तालिबान शासन में उप विदेश मंत्री था. वो ऐसा नेता है जिन्हें अपने बाकी साथियों की तुलना में ज्यादा पढ़ा लिखा माना जाता है. वह देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट है. जबकि अन्य तालिबान नेताओं ने अफगानिस्तान या पाकिस्तान के मदरसों से थोड़ी बहुत पढ़ाई की है. स्टानिकजई ने ‘अमेरिका और अफगान सरकार के साथ कई दौर की शांति वार्ता’ में तालिबान का प्रतिनिधित्व किया है. 2016 में, वह बीजिंग गया था और चीनी नेतृत्व से मिला था, ताकि तालिबान और चीन के बीच सीधा संपर्क स्थापित हो सके. अमेरिका-तालिबान समझौते के बाद वह मास्को, उज्बेकिस्तान, चीन और अन्य स्थानों की यात्रा कर रहा था.

मोहम्मद अब्बास की राजनीतिक हैसियत 
मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई का जन्म साल 1963 में अफगानिस्तान के लोगार प्रांत के बाराकी बराक जिले में हुआ था. वह जातीय रूप से एक पश्तून है. 1980 के दशक में, उसने अफगान सेना को छोड़ दिया और सोवियत सेना के खिलाफ ‘जिहाद’ में शामिल हो गया था. उसने नबी मोहम्मदी के हरकत-ए इंकलाब-ए इस्लामी और अब्द उल रसूल सयाफ के इत्तेहाद-ए-इस्लामी के साथ अपने दक्षिण-पश्चिमी मोर्चे के कमांडर के रूप में लड़ाई लड़ी.

जब 1996 में तालिबान सत्ता में आया, तो स्टानिकजई ने विदेश मामलों के उप मंत्री और बाद में विद्रोही शासन के सार्वजनिक स्वास्थ्य के उप मंत्री के रूप में कार्य किया था. अंग्रेजी बोलने वाला ‘सैनिक’ पश्चिम के लिए तालिबान का चेहरा रहा. स्टानिकजई के बारे में एक और दिलचस्प बात यह है कि उसकी बेटी उसी अमेरिका में पढ़ रही है, जिसकी सभ्यता, तौर-तरीके और पूंजीवाद का तालिबान हमेशा विरोधी रहा है.

2001 में तालिबान शासन को उखाड़ फेंकने के बाद, वह पहले सभी तालिबान नेताओं की तरह पाकिस्तान गया और फिर कतर चला गया. कतर की सरकार पूर्व तालिबान नेता और उनके परिवार को आर्थिक रूप से समर्थन देने के लिए सहमत हो गई है. दो साल पहले, टोलो के पूर्व समाचार रिपोर्टर ने अब्बास स्टानिकजई की बेटी की एक तस्वीर शेयर की, जो अमेरिका में पढ़ रही थी. 2015 में, उसने दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय में कार्यभार संभाला था. इसे तालिबान की दोहरी मानसिकता और पाखंड ही कहेंगे कि अब्बास स्टानिकजई की बेटी तो विदेश में पढ़ रही है, जबकि वे अफगानिस्तान में लड़कियों को स्कूल तक नहीं जाने देते हैं.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top