NCR के तहत आने वाले चारों राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के शहरों में कमर्शियल वाहन बगैर रुके आ जा सकेंगे, वाहनों को एक ही राज्य में टैक्स कटवाना पड़ेगा. इसके लिए Combine Reciprocal Common Transport Agreement (CRCT) किया जा रहा है.
नई दिल्ली. अक्तूबर से एनसीआर (NCR) के चारों राज्यों के शहरों में वाहन बगैर रुके आ जा सकेंगे. चारों राज्यों के लिए अलग-अलग टैक्स (Tax) चुकाने के बजाए एक ही एक ही राज्य में टैक्स चुकाना होगा. इन वाहनों को दूर से पहचाना जा सके, इसलिए इनका रंग और लोगो भी अलग डिजाइन करने की तैयारी है. अधिकारियों का कहना है कि चारों राज्य अक्तूबर तक एमओयू में साइन कर देंगे, इसके 10 से 15 दिन के अंदर नई व्यवस्था शुरू होने की संभावना है. अधिकारियों के अनुसार इससे टैक्स की चोरी रुकेगी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
हाल ही में हुई Capital Region Planning Board (NCRPB) की बैठक में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बीच स्टेट कैरेज और कंट्रैक्ट कैरेज के लिए कंबाइन रेसिप्रोकील कॉमन ट्रांसपोर्ट एग्रीमेंट (सीआरसीटी) पर फैसला लिया गया है. इस समझौते के बाद वाहन चालक को एक राज्य में ही टैक्स देना होगा, इसके बाद वो चारों राज्यों के एनसीआर के शहरों में बगैर रुके आ जा सकेगा. अभी वाहन चालकों को एनसीआर के चारों राज्यों के लिए अलग-अलग टैक्स चुकाना होता है. इस वजह से टैक्स की चोरी होती थी.
उत्तर प्रदेश के एनसीआर के शहर गाजियाबाद के आरटीओ अरुण कुमार ने बताया कि इस एमओयू के तहत बस, आटो, टैक्सी, स्टेट की कैरैज बस, एनसीआर के सभी राज्य परिवहन उपक्रमों (एसटीयू) को शामिल किया जाएगा. उन्होंने बताया कि पहली स्कूल बसों को इस एमओयू के दायरे में लाया जाएगा.
ये होगा फायदा
आरटीओ अरुण कुमार ने बताया कि अभी एयरपोर्ट पर कई बार टैक्सी चालक कहता है कि उसने हरियाणा टैक्स नहीं चुकाया है. इसलिए वहां नहीं जा सकता है. या फिर सवारी लेकर जाता है तो बार्डर पर टैक्स कटाता है, जिसमें पैसेंजर को इंतजार करना पड़ता है. एमओयू साइन होने के बाद वाहन जहां का होगा, वहीं, टैक्स कटवा लेगा, जो चारों राज्यों के एनसीआर के शहरों में मान्य होगा. इन वाहनों को दूर से पहचाना जा सके, इसलिए अलग रंग और लोगो भी तैयार कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि हर साल 5 से 10 फीसदी वाहन बढ़ रहे हैं.एमओयू साइन होने के बाद एनसीआर के शहरों के लिए टैक्सी, आटो और बसों की डिमांड बढ़ जाएगी, इस तरह रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.