All for Joomla All for Webmasters
उत्तराखंड

ऊर्जा का सच : उत्‍तराखंड में मांग से ज्यादा बिजली उपलब्ध, फिर भी किल्लत

bajpurbarage

विजय जोशी, देहरादून। आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि उत्तराखंड में बिजली उत्पादन कुल मांग के मुकाबले अधिक है। बावजूद इसके उपभोक्ताओं को बिजली कटौती (रोस्ट्रिंग) से निजात नहीं मिल पा रही है। रोजमर्रा की जरूरत पूरी करने के लिए राज्य में रोजाना औसतन चार से पांच मिलियन यूनिट बिजली की कमी पड़ रही है। किसी दिन यह आंकड़ा और भी ऊपर चला जाता है। सेंट्रल पूल से मिलने वाले कोटे के बाद भी ऊर्जा निगम उपभोक्ताओं की दिक्कतें कम नहीं कर पा रहा है। अतिरिक्त बिजली खरीद कर जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है। यही नहीं, बिजली की कमी की भरपाई के लिए ऊर्जा निगम अघोषित रोस्ट्रिंग कर उपभोक्ताओं के लिए मुसीबत खड़ी करता आ रहा है।

सेंट्रल पूल से भी मिलती है 18 से 24 एमयू बिजली

पावर सिस्टम आपरेशन कारपोरेशन (उत्तरी क्षेत्र) के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड अपने संसाधनों से सामान्य दिनों में 27 से 28 मिलियन यूनिट बिजली रोजाना तैयार करता है। 16.5 फीसद बिजली उत्तराखंड को सेंट्रल पूल से राज्य कोटा के तहत मिलती है। इसमें टिहरी हाइड्रो प्रोजेक्ट की रायल्टी के रूप में मिलने वाली 12 फीसद बिजली भी शामिल है। इस तरह राज्य को रोजाना 18 से 24 मिलियन यूनिट बिजली सेंट्रल पूल से मिलती है। राज्य की बिजली जरूरत की बात करें तो यह आंकड़ा 39-43 मिलियन यूनिट के करीब है।

खरीदनी पड़ती है चार से पांच एमयू बिजली

खुद के उत्पादन के साथ ही राज्य कोटे से मिलने वाली बिजली के बाद भी ऊर्जा निगम उपभोक्ताओं को हर वक्त बिजली नहीं दे पा रहा है। वर्तमान में कुल उपलब्ध औसतन 45 मिलियन यूनिट बिजली में से सात से दस मिलियन यूनिट बिजली अन्य राज्यों के साथ बैंकिंग की जा रही है। हर साल जून से सितंबर के मध्य बैंकिंग प्रक्रिया चलती है। ऐसे में मौजूदा जरूरत पूरी करने के लिए ऊर्जा निगम प्रतिदिन चार से पांच यूनिट बिजली सेंटर पूल से खरीद रहा है। हालांकि, उपभोक्ताओं को रोस्ट्रिंग से पूरी तरह मुक्ति इसके बाद भी नहीं मिल रही है। राज्यों के साथ बैंकिंग की गई बिजली उत्तराखंड को नवंबर में मिलनी शुरू होती है। सर्दियों में राज्य का अपना बिजली उत्पादन कम हो जाता है।

खरीदनी पड़ती है चार से पांच एमयू बिजली

खुद के उत्पादन के साथ ही राज्य कोटे से मिलने वाली बिजली के बाद भी ऊर्जा निगम उपभोक्ताओं को हर वक्त बिजली नहीं दे पा रहा है। वर्तमान में कुल उपलब्ध औसतन 45 मिलियन यूनिट बिजली में से सात से दस मिलियन यूनिट बिजली अन्य राज्यों के साथ बैंकिंग की जा रही है। हर साल जून से सितंबर के मध्य बैंकिंग प्रक्रिया चलती है। ऐसे में मौजूदा जरूरत पूरी करने के लिए ऊर्जा निगम प्रतिदिन चार से पांच यूनिट बिजली सेंटर पूल से खरीद रहा है। हालांकि, उपभोक्ताओं को रोस्ट्रिंग से पूरी तरह मुक्ति इसके बाद भी नहीं मिल रही है। राज्यों के साथ बैंकिंग की गई बिजली उत्तराखंड को नवंबर में मिलनी शुरू होती है। सर्दियों में राज्य का अपना बिजली उत्पादन कम हो जाता है।

एमएल प्रसाद (निदेशक परिचालन, ऊर्जा निगम) का कहना है कि राज्यों के साथ बैंकिंग एक नियत अवधि में की जाती है। जब हम अतिरिक्त बिजली अन्य राज्यों को देते हैं, उसके बाद जरूरत के समय हमें ब्याज सहित वापस मिलती है। कई बार प्रदेश में उत्पादन घटने से मांग के अनुरूप बिजली उपलब्ध नहीं रहती, ऐसे में केंद्रीय पूल से बिजली खरीदनी पड़ती है। देश में थर्मल एनर्जी प्लांट में उत्पादन कम होने के कारण कभी-कभी केंद्रीय पूल से भी पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाती। केंद्रीय पूल से बिजली की खरीद अधिकतम सात रुपये प्रतियूनिट की जाती है। इससे अधिक महंगी बिजली मिलने पर खरीद नहीं की जाती।

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top