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दिल्ली/एनसीआर

धार्मिक स्थलों को खोलने की मांग पहुंची दिल्ली हाई कोर्ट, कहा- लंबे समय तक प्रतिबंध लगाना उचित नहीं

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नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी में कोरोना उचित व्यवहार की व्यवस्था के साथ धार्मिक स्थलों को खोलने की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस मामले में जल्द सुनवाई हो सकती है। डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव संस्था की तरफ से अधिवक्ता रोबिन राजू और दीपा जोसफ दायर याचिका में कहा गया है कि राजधानी में सभी बाजार, माल, सिनेमाघर, मेट्रो, स्कूल आदि खोलने का निर्देश दे दिया गया है। सिर्फ धार्मिक स्थलों को खोलने का निर्देश नहीं दिया गया है। यह चयनात्मक प्रतिबंध है।

याचिका में कहा गया है कि आध्यात्मिक मार्गदर्शन और परामर्श अनिश्चितता के समय में मानसिक शक्ति और राहत देता है। ऐसे में धार्मिक स्थलों को खोलना जरूरी है, जिससे लोग कोरोना की वजह से हुई मानसिक परेशानियों को कम करने के लिए अध्यात्म का सहारा ले सकें। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया है कि लंबे वक्त तक धार्मिक स्थलों पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं है। इससे आम लोगों के अलावा धार्मिक स्थलों से जुड़े लोगों को परेशानी हो रही है।

वहीं, कालकाजी मंदिर के परिसर के रखरखाव को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई आठ सितंबर को होगी। इस याचिका पर न्यायमूर्ति प्रतिबा मनिंदर सिंह की पीठ के समक्ष दिल्ली जल बोर्ड के अधिवक्ता ने कहा कि विभिन्न बारीदारों ने अब तक चार करोड़ 57 लाख, 73 हजार पांच रुपये जमा किए हैं। इसके अलावा दो चेक मिले हैं, जिन्हें अभी तक कैश नहीं कराया गया है।

आंतरिक सीवर प्रणाली, परिधीय सीवर प्रणाली समेत विभिन्न मदों का ब्योरा देते हुए पीठ को बताया कि इन पर अब तक 4.57 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इस मामले से जुड़े अन्य वकीलों ने पीठ से कहा कि कालकाजी मंदिर के क्षेत्र में सीवरेज प्रणाली अच्छी स्थिति में नहीं हैं। ज्यादातर पड़ी पाइपलाइनें बंद हैं। सभी बारीदारों द्वारा दिल्ली जल बोर्ड के पास पर्याप्त राशि जमा करने के बावजूद मंदिर में कोई सीवरेज प्रणाली मौजूद नहीं है। इस पर दिल्ली जल बोर्ड ने जवाब दिया कि जो भी मरम्मत कार्य किया जाना है, वह कोर्ट के आदेश के तहत किया जाएगा। इससे पहले पीठ ने मंदिर के निराशाजनक रखरखाव पर चिंता व्यक्त की थी।

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