सरकार वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) में हिस्सेदारी लेने के लिए तैयार है। इसके लिए कंपनी पर सरकार के बकाया रकम का कुछ हिस्सा इक्विटी में बदला जा सकता है। इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने यह जानकारी दी है। दरअसल, सरकार वोडाफोन आइडिया के निवेशकों (investors) का भरोसा बहाल करना चाहती है। वोडाफोन आइडिया गंभीर वित्तीय संकट (Financial crisis) से गुजर रही है।
मामले की जानकारी देने वाले व्यक्ति ने बताया कि सरकार चार साल बाद बकाया की कुछ और रकम इक्विटी में बदलने का विकल्प रख सकती है। इसके लिए कुछ शर्तें होंगी। उन्होंने कहा, “इस बारे में बुधवार को कैबिनेट की बैठक में फैसला हो सकता है। लेकिन, अभी यह पक्का नहीं है।”
वोडाफोन आइडिया ने जून तिमाही (June Quarter) के नतीजों में बताया है कि उस पर कितना कर्ज है। इसके मुताबिक, 30 जून तक कंपनी पर 1.92 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था। इसमें स्पेक्ट्रम पेमेंट (spectrum payment) का 1.06 लाख करोड़ और एजीआर (AGR) के रूप में 62,180 करोड़ रुपये का बकाया शामिल है। इसके अलावा वोडाफोन आइडिया ने बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से 23,400 करोड़ रुपये का लोन लिया है।
बताया जाता है कि अगर सरकार वोडाफोन पर बकाय कुछ रकम को इक्विटी में बदलने की इजाजत दे देती है तो सरकार कंपनी में कोई निवेश नहीं करेगी। इस कवायद के पीछे सरकार का मुख्य मकसद वोडाफोन आइडिया के निवेशकों की चिंता दूर करना है। सरकार कंपनी के प्रबंधन और कामकाज में कोई दखल नहीं देगी।
वोडाफोन आइडिया काफी समय से 25,000 करोड़ रुपये का फंड जुटाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन उसकी कोशिश नाकाम रही। जून में आदित्य बिड़ला ग्रुप (Aditya Birla Group) के चेयरमैन कुमार मंगलम बिरला (Kumar Mangalam Birla) ने सरकार को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि अगर सरकार मदद के लिए आगे नहीं आती है तो कंपनी डूब सकती है।
वोडाफोन आइडिया में ब्रिटेन के वोडाफोन ग्रुप की 44.39 फीसदी हिस्सेदारी है। यह देश की सबसे पुरानी टेलीकॉम कंपनियों में से एक है। हालांकि, पिछले कुछ सालों से इसकी स्थिति लगातार खराब हो रही है। कंपनी के ग्राहकों की संख्या तेजी से घट रही है। बुधवार को सुबह करीब 10 बजे वोडाफोन आइडिया के शेयर का भाव 1.72 फीसदी की तेजी के साथ 8.85 रुपये चल रहा था।