कसिटी उदयपुर में जन्मी 28 वर्षीय युवा पर्वतारोही रूचिका जैन ने अपने बुलंद हौंसले के दम पर लद्दाख के सबसे ऊंचे माउंट नून-कून की चढ़ाई पूरी कर सफलता हासिल की है। लगभग साढ़े 6 हजार मीटर ऊंचाई (21,325 फीट) वाली इस चोटी पर देश भर के बारह पर्वतारोहियों ने चढ़ाई शुरू की लेकिन महज छह पर्वतारोही ही वहां तक पहुंचने में सफल रहे। 21 दिन का सफ़र, माइनस 30 डिग्री तापमान और चढ़ाई के साथ ऑक्सीजन लेने में बढ़ती दिक्कतों के बीच उदयपुर की बेटी रूचिका के कदम नहीं डगमगाए।
माइनस 30 डिग्री तापमान और सीधी चढ़ाई दोनों बड़ी चुनौती
रूचिका बताती है कि लद्दाख पहुंचने के बाद जब उन्होंने नून-कून के माउंट कून पर्वत की चढ़ाई बेहद मुश्किल थी। माइनस 30 डिग्री के तापमान और सीधी चढ़ाई दोनों ही बड़ी चुनौती थे इस मुश्किल डगर में जैसे-जैसे वे आगे बढ़ती गई कठिनाइयां भी बढ़ने लगी। जब 21 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंची तो सांस लेने में दिक्कत होने लगी। वहां ऑक्सीजन का स्तर बेहद कम रहने लगा था। लेकिन बुलंद हौंसले के आगे उनके कदम नहीं डगमगाए और वे आगे बढती गई। 12 सितम्बर को उन्होंने कून पर्वत पर विजय हांसिल की और तिरंगा फहराया। वह 22 अगस्त को उदयपुर से इस यात्रा पर निकली थी और दिल्ली, श्रीनगर और कारगिल होते हुए लद्दाख पहुंची। उनकी इस यात्रा में उनका 90 हजार रुपए का खर्चा आया। रूचिका ने कून पर्वत की चोटी पर मिली सफलता को बालिका शिक्षा के लिए समर्पित किया है। अपनी यात्रा के दौरान वह जहां भी पहुंची, वहां बालिका शिक्षा पर जोर दिया।
यात्रा के दौरान उन्होंने बालिका शिक्षा जागरूकता के लिए कार्य किया। रूचिका ने बताया कि परिस्थितियाँ इतनी कठिन थी कि उनके दल के साथ चल रहा पर्वतारोही डेबू दत्ता हिम दरार घिर गया लेकिन खुशकिस्मत रहा कि वहां इंडियन आर्मी के चालीस जवान अपनी ट्रेनिंग पर थे। जिसे जवानों ने बचा लिया।
एवरेस्ट फतह करना लक्ष्य
रूचिका का लक्ष्य दुनिया की सबसे बड़ी माउंट एवरेस्ट को फतह करना है। वह चाहती है कि अगले साल वह एवरेस्ट विजेता कहलाए। माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर है, जो माउंट नून से दो हजार दो सौ फीट से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित है। रुचिका ने बताया कि उसने वर्ष 2019 में नेहरू पर्वतारोहड संस्थान से बेसिक माउंटेंनियरिंग का कोर्स पूरा किया। लद्दाख का सबसे कठिन चादर ट्रेक-35 डिग्री में पूरा करने के साथ करीब आठ हिमालयन माउंटेन एक्स्पिडिशन कर चुकी हैं, जिसमें केदारकंठा 12 हजार 500 फीट, सरपास 13 हजार 500 फीट और माछा धार 16 हजार फीट जैसे ट्रेक शामिल हैं। इसके बाद उसने 21 हजार फीट ऊंचाई वाली पर्वत चोटी पर सफलता हासिल की ।