All for Joomla All for Webmasters
झारखण्ड

उद्यमियों की मांग- कच्चे माल पर टैक्स में छूट दे सरकार, नहीं तो बंदी की कगार पर पहुंच जाएंगे

industries

रांची, जासं। लगातार बढ़ती महंगाई ने लोगों के घर के साथ-साथ बाजार का भी बजट बिगाड़ दिया है। कोरोना संक्रमण के कारण धीमी पड़ी बाजार की रफ्तार रेस लगाती, उससे पहले पेट्रोल-डीजल के दाम में आग लग गई। माल भाड़ा बढ़ने से प्रोडक्शन कास्ट में वृद्धि हुई है। व्यापारियों को जीएसटी काउंसिल की बैठक से उम्मीद थी कि पेट्रोल-डीजल के दाम घटेंगे। मगर ऐसा नहीं हुआ। वहीं उद्योग के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल में आई तेजी से उद्यमियों ने हाथ धीमा कर रखा है।

पिछले एक साल में स्टील और पीतल के दाम लगभग दोगुना बढ़ गए हैं। इसके साथ ही काटन धागे और कागज के दाम में भी तेजी आई है। इससे सबसे ज्यादा एमएसएमई व्यापार प्रभावित हुआ है। उद्योगपतियों का कहना है कि सरकार केवल सस्ता कर्ज उपलब्ध कराकर इस कठिन स्थिति से उद्योग को नहीं निकाल सकती। इसके लिए अब कीमतों पर नियंत्रण या टैक्स रिलैक्स के बारे में विचार करना होगा। कीमतों में बढ़ोत्तरी से लघु और मध्य उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। लोगों की क्रय शक्ति पर बड़ा असर पड़ा है। जो ग्राहक पहले लाख रुपये की खरीदारी करने में सक्षम था, अब हजारों में खरीदारी करके काम चला रहा है।

लोहा, सरिया, एंगल, आयरन शीट, व स्टील के दामों में एक वर्ष में 10 हजार रुपये प्रति टन की बढ़ोत्तरी हुई है। कच्चे माल के दाम में भारी उछाल से हार्डवेयर उद्योग संकट में दिख रहा है। छोटे हार्डवेयर उद्योग बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। इंगट, स्क्रैप, एंगल, सरिया, सीआर शीट और एचआर कॉयल की कीमतें 15-20 फीसद प्रति टन तक बढ़ी हैं। ऐसी हालत रही तो व्यापार में बने रहना बड़ा मुश्किल होगा। यही कारण है कि राज्य के कई उद्यम बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं।

क्‍या कहते हैं व्‍यापारी

कोरोना संक्रमण काल के बाद से महंगाई की मार ज्यादा तेज हुई है। इससे राज्य भर का निर्माण उद्योग प्रभावित हुआ है। हालांकि सरकार ने सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा को संशोधित करने के बाद सूक्ष्म मैन्युफैक्चरिंग और सेवा इकाई की परिभाषा को बढ़ाकर एक करोड़ रुपयों के निवेश और पांच करोड़ रुपये का कारोबार कर दिया है। इससे मदद की उम्मीद है। –प्रवीण जैन छाबड़ा, अध्यक्ष, झारखंड चैंबर आफ कामर्स।

कच्चे माल का दाम बढ़ने से सबसे ज्यादा छोटे उद्योगों की परेशानी बढ़ी है। पहले से स्टाक किया माल निकालने में परेशानी हो रही है। सरकार के द्वारा शुरू की गई योजनाएं बैंक से सही समय पर उद्यमियों को नहीं मिल पा रही है। इस पर भी ध्यान देना होगा। हालांकि उद्यमी अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं। –फिलिप मैथ्यू, अध्यक्ष, जेसिया।

कोरोना संक्रमण जब तक रहेगा, तब तक हम व्यापार उद्योग में बढ़ोत्तरी की बातें सोच तक नहीं सकते हैं। इनपुट कास्ट का बढ़ना हमारे लिए एक बड़ी समस्या है। सरकार को जल्द से जल्द इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है। –गौरव अग्रवाल, अध्यक्ष, जूनियर चैंबर आफ कामर्स।

स्टील, आयरन सहित अन्य मेटल की कीमतों में ऐसी भारी बढ़ोत्तरी हुई है कि उद्योग पर बड़ा असर पड़ा है। सरकार देश के सबसे बड़े सेक्टर की मदद की कोशिश तो कर रही है। मगर उद्यमियों के इनपुट कास्ट में कमी किए बिना मदद नहीं हो सकेगी। –अंजय पचेरीवाल, श्री राम वायर्स।

स्टील के दाम बढ़ने से उत्पाद के दाम बढ़ाने पड़े हैं। मगर ग्राहकों की क्रय शक्ति कोरोना संक्रमण की वजह से प्रभावित है। ऐसे में बाजार में खुद को स्थापित करके रखने की कोशिश जारी है। बढ़ी महंगाई पर नियंत्रण जरूरी है। –मंजीत सिंह, स्टील फर्निचर कारोबारी।

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top