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अरावली वन भूमि पर बरकरार अवैध कब्जों का ब्योरा तलब, सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद नगर निगम आयुक्त से मांगा हलफनामा

नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने अरावली वन क्षेत्र से अवैध कब्जे हटाए जाने के मामले में फरीदाबाद नगर निगम आयुक्त को निर्देश दिया है कि वह हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताएं कि ऐसे कितने अवैध निर्माण वन भूमि पर हैं जो अभी तक नहीं हटाए गए हैं और यह भी बताएं कि इन अवैध निर्माणों को क्यों नहीं हटाया गया। इस संबंध में कोर्ट ने आयुक्त को चार्ट दाखिल कर क्षेत्रवार ब्योरा देने को कहा है।

फ्लैट आवंटन की टाइम लाइन पेश की

दूसरी ओर फरीदाबाद नगर निगम ने सोमवार को कोर्ट में खोरी गांव में वन भूमि से हटाए गए अवैध कब्जेदारों में पुनर्वास के पात्र लोगों को फ्लैट आवंटन की टाइम लाइन पेश की। निगम ने कोर्ट को बताया कि तत्काल राहत के तौर पर लोगों को प्रोवीजनल एलाटमेंट लेटर जारी किये जा रहे हैं।

वन भूमि खाली कराने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट फरीदाबाद के खोरी गांव की वन भूमि से अवैध कब्जे हटाने के मामले में सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने अरावली वन क्षेत्र से हर तरह का अवैध कब्जा हटाने और वन भूमि खाली कराने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इसमें किसी तरह का अपवाद नहीं होना चाहिए।

वन भूमि पर नहीं रहेगा कोई अवैध कब्जा

सोमवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस दिनेश महेश्वरी की पीठ ने एक बार फिर कहा कि वन भूमि पर कोई अवैध निर्माण नहीं रहेगा। जो भी अवैध निर्माण होगा उसे नगर निगम ढहाएगा। कोर्ट ने ये टिप्पणी राहत की गुहार लगा रहे कुछ गांव के किसानों और मैरिज व बैंक्वेट हाल के मालिकों की अर्जियों पर सुनवाई के दौरान कीं।

याचिकाकर्ता बोले निर्माण वन भूमि मे नहीं

अर्जी देने वालों का कहना था कि उनका निर्माण वन भूमि मे नहीं आता है। इस पर पीठ ने कहा कि अगर निर्माण वन भूमि पर नहीं है तो चिंता की जरूरत ही नहीं है क्योंकि आदेश सिर्फ वन भूमि से अवैध कब्जे हटाने का है। अर्जी देने वालों का कहना था कि हरियाणा सरकार द्वारा कानून में किये गए संशोधन के बाद से उनकी जमीन वन भूमि में नहीं है लेकिन कानूनी संशोधन लागू करने पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में सुनवाई के दौरान रोक लगा रखी है।

क्षेत्रवार ब्योरा मांगा

कोर्ट ने कहा कि अर्जीकर्ताओं की जमीन वन भूमि में आती है कि नहीं इस मुद्दे पर बाद में सुनवाई करेंगे। हालांकि कोर्ट ने इस बारे में कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया। कोर्ट ने फरीदाबाद नगर निगम के आयुक्त को निर्देश दिया कि वह दो चार्ट कोर्ट में दाखिल करेंगे जिसमे क्षेत्रवार ब्योरा दिया जाएगा कि वन भूमि पर कितने ऐसे निर्माण है जिन्हें अभी तक नहीं हटाया गया है और कारण भी बताया जाएगा कि उन्हें क्यों नहीं हटाया गया।

अवैध निर्माण का ब्‍यौरा देना होगा

वहीं दूसरे चार्ट में अब तक हटाए गए अवैध निर्माण का क्षेत्रवार ब्योरा देना होगा। कोर्ट ने कहा है कि खोरी गांव में वन भूमि से जो निर्माण ढहाया गया है उसका मलबा हटाया जाए और क्षेत्र को पर्यावरण अनुकूल बनाया जाए।

प्रारंभिक जांच में 892 पात्र मिले

खोरी गांव में वन भूमि पर बनी करीब 10 हजार झुग्गियों को ढहाने और बेघर लोगों में से पुनर्वास के पात्रों को फ्लैट आवंटित करने और बसाए जाने के बारे में नगर निगम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरुण भारद्वाज ने कोर्ट में टाइम लाइन पेश की।

कुल 2391 अर्जियां प्राप्त हुई

कोर्ट के निर्देश के मुताबिक पात्रों को प्रोवीजनल एलाटमेंट लेटर देकर अस्थायी शरण देने का ब्योरा देते हुए भारद्वाज ने कहा कि 15 सितंबर तक निगम को पुनर्वास के लिए कुल 2391 अर्जियां प्राप्त हुई जिनमें से 892 को प्रारंभिक जांच में पुनर्वास का पात्र पाया गया। इन्हें अस्थायी आवंटन पत्र देने के लिए फोन पर संपर्क किया, 302 लोगों ने आवंटन पत्र के लिए संपर्क किया और करीब 50 लोग सोमवार को ही आवंटित फ्लैट में कब्जा लेने पहुंच गए हैं।

अंतिम तिथि 15 नवंबर

स्थाई आवंटन की टाइम लाइन पेश करते हुए भारद्वाज ने बताया कि अर्जी देने की अंतिम तिथि 15 नवंबर है। दस्तावेजों की जांच पड़ताल की आखिरी तिथि 25 नवंबर और पुनर्वास के पात्र लोगों की अंतिम सूची 29 नवंबर तक प्रकाशित कर दी जाएगी। ईडब्लूएस फ्लैटों के आवंटन का ड्रा दो दिसंबर को निकलेगा। 15 दिसंबर को स्थायी आवंटन पत्र जारी होगा। शर्तों को पूरा करने पर 30 अप्रैल 2022 को स्थायी आवंटन पत्र दे दिया जाएगा।

आवंटन प्रक्रिया पर संतोष जताया

कोर्ट ने अस्थायी आवंटन प्रक्रिया चालू होने जाने पर संतोष जताया। कोर्ट ने निगम से कहा है कि वह पुनर्वासित किए जा रहे लोगों को पैसा जमा कराने के लिए बैंक से या किसी और तरह से आर्थिक मदद मुहैया कराने के इंतजाम पर भी विचार करे क्योंकि हो सकता है के लोगों के पास जमा कराने के लिए पैसा न हो।

एकमुश्त देने होंगे 17 हजार फिर ढाई हजार किस्त

भारद्वाज ने कहा कि नियम के मुताबिक लोगों को 17,000 रुपये एक साथ जमा कराने हैं और 2,500 रुपये की मासिक किस्त होगी। पुनर्वास के लिए आवेदन में मांगे जा रहे दस्तावेजों में आधार को भी शामिल करने की मांग पर भारद्वाज ने निर्देश लेकर सूचित करने की बात कही। पुनर्वास नीति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट बाद में सुनवाई करेगा। 

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