नई दिल्ली, पीटीआइ। देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि खुदरा जमाकर्ताओं (Retail depositors) को बैंकों में जमा अपने पैसे पर मिलने वाले ब्याज में नुकसान (earning negative returns) हो रहा है और इसलिए उन्हें मिलने वाले ब्याज पर करों की समीक्षा करने की जरूरत है।
Senior Citizen के बारे में सोचे सरकार
सौम्य कांति घोष (Soumya Kanti Ghosh) के नेतृत्व में अर्थशास्त्रियों द्वारा लिखे एक नोट में कहा गया कि अगर सभी जमाकर्ताओं (depositors) के लिए संभव न हो तो कम से कम वरिष्ठ नागरिकों द्वारा जमा की जाने वाली रकम (Senior Citizens Saving Bank Deposit Interest) के लिए कराधान (Taxation) की समीक्षा की जानी चाहिए क्योंकि वे अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए इसी ब्याज पर निर्भर करते हैं। उन्होंने कहा कि पूरी बैंकिंग व्यवस्था (Whole Banking System) में कुल मिलाकर 102 लाख करोड़ रुपये जमा हैं।
40 हजार से ज्यादा ब्याज आय पर कटता है TDS
वर्तमान में, बैंक सभी जमाकर्ताओं (Depositor) के लिए 40,000 रुपये से ज्यादा की ब्याज आय देते समय स्रोत पर कर काटते (Tax dedcution at source) हैं, जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए आय 50,000 रुपये प्रति वर्ष से अधिक होने पर कर निर्धारित किया जाता है। चूंकि नीति का ध्यान वृद्धि की तरफ चला गया है, प्रणाली में ब्याज दरें नीचे जा रही हैं जिससे जमाकर्ता (Bank Depositor) प्रभावित हो रहे हैं।
बैंक ब्याज के रूप में खास रिटर्न नहीं
नोट में कहा गया, “स्पष्ट रूप से, बैंक जमा पर मिलने वाले ब्याज (return on bank deposits) की वास्तविक दर एक बड़ी अवधि के लिए नकारात्मक रही है और रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने यह पूरी तरह साफ कर दिया है कि प्राथमिक लक्ष्य बढ़ोतरी में मदद करना है, भरपूर तरलता बने रहने के चलते कम बैंकिंग ब्याज दर के निकट भविष्य में बढ़ने की संभावना नहीं है।” इसमें यह भी कहा गया कि प्रणाली में काफी तरलता होने के चलते इस समय बैंकों पर “मुनाफे को लेकर काफी दबाव” है।