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GST Council के इस फैसले से महंगा हो जाएगा रेडीमेड गारमेंट, ग्राहकों को चुकानी पड़ सकती है 7% तक अधिक कीमत

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आगामी पहली जनवरी से 1,000 रुपये से कम दाम वाले रेडीमेड गारमेंट यानी सिले-सिलाए वस्त्र महंगे हो सकते हैं। खरीदारों को ऐसे अपैरल के लिए सात फीसद तक अधिक कीमत देनी पड़ेगी। जीएसटी काउंसिल ने अगले वर्ष पहली जनवरी से गारमेंट के इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को ठीक करने का फैसला लिया है, जिसके तहत गारमेंट के दाम बढ़ सकते हैं। गारमेंट कारोबारी का कहना है कि कच्चे माल की कीमत बढ़ने से कपड़ों की कीमतों में पिछले एक साल में पहले ही 20 फीसद तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। अब और बढ़ोतरी होने पर कपड़े की बिक्री प्रभावित होगी।

क्लॉथ मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमएआइ) के मुताबिक भारत में बिकने वाले 85 फीसद गारमेंट 1,000 रुपये से कम कीमत वाले होते हैं। गत शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक में टेक्सटाइल से जुड़े इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में सुधार करने की घोषणा की गई थी जिसे आगामी पहली जनवरी से लागू किया जाना है। हालांकि अभी इसे आधिकारिक रूप नहीं दिया गया है।

इसलिए बढ़ेगा दाम

अभी 1,000 रुपये से कम कीमत वाले गारमेंट पर पांच फीसद की दर से जीएसटी लगता है जिसे 12 फीसद किया जाएगा। इसके पीछे तर्क यह है कि गारमेंट के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले मैन-मेड यानी मानव निर्मित यार्न और फैब्रिक जैसे कच्चे माल पर 12 फीसद की दर से जीएसटी लगता है। इसलिए इनपुट टैक्स क्रेडिट में दिक्कतें आती हैं।

कंफेडरेशन आफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष संजय जैन के अनुसार पिछले एक साल में गारमेंट के दाम में पहले ही 20 फीसद तक की बढ़ोतरी हो गई है। अब फिर से सात फीसद की बढ़ोतरी से निम्न व मध्यम आय वालों को अधिक कीमत चुकानी होगी जिससे गारमेंट की मांग पर असर होगा। जैन ने बताया कि अभी काटन यार्न और फैब्रिक पर पांच फीसद जीएसटी लगता है, लेकिन नए फैसले के तहत काटन से बनने वाले गारमेंट पर 12 फीसद जीएसटी लगने लगेगा और वे भी महंगे हो जाएंगे।

सीएमएआइ के पूर्व अध्यक्ष एवं मेंटर राहुल मेहता के अनुसार सरकार को इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को ठीक करना है तो कच्चे माल पर लगने वाले अधिक जीएसटी को भी कम किया जा सकता है। कारोबारियों का काम पहले से मंदा चल रहा है और पहली जनवरी से सात फीसद तक कपड़े महंगे होने से कारोबार में और कमी आएगी। मेहता ने बताया कि सीएमएआइ टेक्सटाइल व वित्त मंत्रालय को इस मामले में अपने सुझाव भेज रही है। कारोबारी इस फैसले से बिना रसीद की खरीदारी में तेजी की आशंका जाहिर कर रहे हैं।

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