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राजस्थान

Rajasthan Tourism: अब पर्यटक रात में भी निहार सकेंगे विजय स्तंभ, चित्तौड़गढ़ दुर्ग में रहने की मिलेगी सुविधा

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सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो पर्यटक रात में भी चित्तौड़गढ़ दुर्ग का भ्रमण कर पाएंगे। इसके लिए सबसे जरूरी है कि पर्यटक रात में दुर्ग में ठहर पाए और दूसरी अहम जरूरत सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ी है। चौदह किलोमीटर की सुरक्षा दीवार से घिरे चित्तौड़गढ़ दुर्ग का आधे से अधिक हिस्सा आबादी है और वहां पर्यटक पहले से ही रहते आए हैं लेकिन रात में दुर्ग भ्रमण की सुविधा अभी तक नहीं है। पर्यटन अधिकारी शरद व्यास की मानें तो सबसे अहम मुद्दा सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ा है। विभाग के पास पहले से ही कार्मिकों की कमी है और रात में पर्यटकों को भ्रमण की अनुमति दी जाती है तो अधिक कर्मचारियों की जरूरत होगी। जिसके लिए पर्यटन विभाग से अभी तक अनुमति नहीं मिली है। हालांकि इसका तोड़ जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने निकाल लिया है।

उनका कहना कि पर्यटन विभाग यदि सुरक्षाकर्मियों की तैनातगी सुनिश्चित नहीं कर पाए तो सीएसआर की मदद और रेक्सको के माध्यम से सुरक्षा कार्मिक नियुक्त किए जाएंगे। जिला कलक्टर नाइट टूरिज्‍म को बढ़ावा देना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि दुर्ग क्षेत्र में पचास सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं लेकिन इसके लिए आर्कियोलॉजी सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) की अनुमति जरूरी है। इसके लिए जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने एएसआई को पत्र लिखकर अनुमति मांगी है। इस काम में जो खर्चा आएगा उसमें नगर विकास न्यास भी सहयोग करेगा।

नाइट टूरिज्‍म को बढ़ावा

जिला कलक्टर चाहते हैं कि नाइट टूरिज्‍म को बढ़ावा दिए जाने के लिए जरूरी है कि पर्यटक यहां एक रात अवश्य रूके। इसके लिए दुर्ग को रात में खोलने, दुर्ग में रेस्टोरेंट सुविधा को विकसित करने तथा दुर्ग परिसर में कुछ विकास किए जाने की जरूरत है। जिसमें गंभीरी नदी पुलिया के नीचे म्यूजिकल फाउंटेन लगाने तथा जयपुर के मसाला चौक की तरह यहां भी मसाला चौक विकसित करना अहम बताया। दुर्ग भ्रमण के दौरान पर्यटकों को किसी तरह परेशानी का सामना नहीं करना पड़े इसके लिए मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए मोबाइल टावर लगाने और दुर्ग पर गोल्फ कार का संचालन करने के आदेश पहले से ही जारी कर दिए गए हैं।

डियर पार्क और बायोलॉजिकल पार्क बनकर तैयार

एडवेंचर टूरिज्‍म को विकसित करने के लिए जिला कलक्टर ने पर्यटन अधिकारी शरद व्यास तथा उप वन संरक्षक वन्यजीव डॉ. टी.मोहन राज की भी सलाह ली है। जिसमें दुर्ग में बैलून का संचालन तथा रोप-वे की स्थापना आवश्यक बताई। इसके लिए एएसआई तथा वन विभाग से एनओसी के लिए पत्र लिखा है। जिला कलक्टर ने बताया कि डियर पार्क और बायोलॉजिकल पार्क बनकर तैयार हैं लेकिन वन विभाग और एएसआई की एनओसी के अभाव में अटके हुए हैं। इधर, उप वन संरक्षक डॉ. टी मोहन का कहना है कि वन विभाग को इसमें कोई आपत्ति नहीं है और उन्होंने विभागीय रिपोर्ट अगस्त महीने में एएसआई को भेज दी थी। वहां से अनुमति मिलते ही डियर पार्क ही नहीं, बल्कि उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क की तरह चित्तौड़गढ़ दुर्ग की तलहटी में बायोलॉजिकल पार्क शुरू कर दिया जाएगा।

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