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भारत में SBI जैसे 4-5 बड़े बैंकों की जरूरत, फंसे हुए कर्ज के समाधान के लिए तेजी से काम करेगी NARCL: निर्मला सीतारमण

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नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को Indian Banks’ Association (IBA) की 74वीं सालाना आम बैठक (AGM) को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से देश की इकोनॉमी एक नई दिशा की ओर बढ़ रही है और जिस प्रकार इंडस्ट्री नई चीजों को अपना रहे हैं, उससे कई नई चुनौतियां पैदा हुई हैं। इससे यह बात भी सामने आई है कि भारत को ना सिर्फ ज्यादा संख्या में बल्कि अधिक बड़े बैंकों की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ”भारत को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के आकार के चार या पांच अन्य बैंकों की जरूरत है। इकोनॉमी और इंडस्ट्री में हाल में आए बदलावों की पृष्ठभूमि में जिस प्रकार से वास्तवकिताएं बदली हैं, उन्हें पूरा करने के लिए हमें बैंकिंग का विस्तार करने की जरूरत है।”

वित्त मंत्री ने कहा, ”अगर हम कोविड-19 के बाद की परिस्थितियों को देखें तो भारत का बैंकिंग सेक्टर काफी यूनिक नजर आता है, जिसने डिजिटलीकरण को सफलतापूर्वक अपनाया है। महामारी के दौरान कई देशों के बैंक अपने ग्राहकों तक पहुंच स्थापित नहीं कर पा रहे थे, वहीं, भारतीय बैंकों के डिजिटलीकरण की बदौलत हमें डीबीटी और डिजिटल मैकेनिज्म के जरिए छोटे, मझोले और बड़े अकाउंट होल्डर्स को पैसे ट्रांसफर करने में मदद मिली।”

वित्त मंत्री ने अपने वक्तव्य के दौरान कहा कि देश में अब भी कई ऐसे जिले हैं, जहां बहुत आर्थिक गतिविधियां होने के बावजूद बैंकिंग सुविधाएं मौजूद नहीं हैं। ऐसे में बैंकों को अपनी मौजूदगी बढ़ाने पर काम करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बैंकों के बही-खाते में अब ज्यादा साफ हैं। इससे सरकार को मदद मिलेगी क्योंकि इस तरह पुनर्पूंजीकरण से जुड़ी जरूरतों में कमी आ जाएगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी को अमेरिका की तरह भारत में ‘बैड बैंक’ नहीं कहा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि NARCL फंसे हुए कर्ज के समधान के लिए बहुत त्वरित गति से काम करेगी।

उन्होंने कहा, ”400 बिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के लिए बैंकों को और फुर्ती के साथ काम करना होगा और हर इकाई की जरूरत को समझना होगा।”

अपने संबोधन की शुरुआत में उन्होंने कोविड-19 महामारी की वजह से जान गंवाने वाले बैंककर्मियों को श्रद्धांजलि दी। वित्त मंत्री ने AGM को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना के समय में बैंकों के विलय के काम को पूरा करना बैंकर्स के लिए बड़ी चुनौती रही। यह काम ऐसे समय में हुआ जब बैंक कोरोना महामारी के काल में बैंक देश के सुदूर इलाकों के लोगों को मदद पहुंचाने में लगे हुए थे।

उन्होंने कहा, ”मैं यह सुनिश्चित करने के लिए बैंककर्मियों की सराहना करती हूं कि विलय से ग्राहकों को किसी तरह की असुविधा नहीं हुई।”

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