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हिमाचल प्रदेश

टांडा में कार्डियोलाजी विभाग को ही एंजियोग्राफी की जरूरत, कैथ लैब में रेडियोग्राफर नहीं, लैब टेक्नीशियन दे रहे सेवाएं

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Tanda Medical College, हिमाचल के लाखों लोगों के दिलों की संभाल करने वाले कार्डियोलाजी विभाग को ही एंजियोग्राफी की जरूरत है। डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा में जब भी कार्डियोलाजी विभाग में सेवाएं सुचारू होने लगती हैं तो कोई न कोई अड़चन आ जाती है। कोरोना महामारी की पहली व दूसरी लहर में लगभग डेढ़ साल कैथ लैब बंद रही। लोगों को निजी अस्पतालों व अन्य प्रदेशों की दौड़ लगानी पड़ी। अब जब टांडा मेडिकल कालेज में हृदयरोगियों को स्वास्थ्य सेवाएं मिलने लगीं तो कैथ लैब में रेडियोग्राफर की कमी आड़े आ गई।

कार्डियोलाजी विभाग में तीन कैथ लैब रेडियोग्राफर तैनात थे। इनमें से एक मेडिकल छुट्टïी पर है। दूसरे का तबादला हो गया है व तीसरारेडियोलाजी विभाग में लौट गया है। अस्पताल प्रशासन ने न तबादला रुकवाया और न रेडियोलाजी विभाग में लौटने से रेडियोग्राफर को रोका। काम प्रभावित होने लगा तो दो सीनियर लैब टेक्नीशियन की तैनाती कैथ लैब रेडियोग्राफर के पद पर कर दी। जारी आदेश में कहा गया है कि लैब टेक्नीशियन ने पीजीआइ चंडीगढ़ से एक माह का आब्जर्वेशन कोर्स किया है, इसलिए वे कैथ लैब में सेवाएं दें।

दोनों ने कार्डियोलाजी विभाग में ड्यूटी ज्वाइन कर ली है। वे इस बात को लेकर डरे हैं कि रेडिएशन के बारे में कुछ पता नहीं है। वे बीएससी (मेडिकल लैबोरटरी टेक्नोलाजी) हैं। सूत्र बताते हैं कि एक लैब टेक्नीशियन ने टांडा मेडिकल कालेज के अतिरिक्त निदेशक को इस संबंध में पत्र भी लिखा है व ड्यूटी देने में असमर्थता जताई है। साथ ही कहा है कि वे इस ड्यूटी के लिए न्यूनतम योग्यता को पूरा नहीं करते। उनकी वहां तैनाती से मरीज के साथ-साथ उन्हें व अन्य स्टाफ को भी खतरा हो सकता है। एक टेक्नीशियन ने दो दिन पहले इस संबंध में प्राचार्य से भी मुलाकात कर अपना पक्ष रखा है।

क्‍या कहते हैं अधिकारी

अतिरिक्त निदेशक टांडा मेडिकल कालेज मेजर अविंदर कुमार का कहना है कार्डियोलाजी विभाग की कैथ लैब में रेडियोग्राफर की कमी थी। स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू बनाए रखने के लिए दो लैब टेक्नीशियन कैथ लैब में तैनात किए हैं। दोनों ने पीजीआइ से इस संबंध में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। कैथ लैब में तैनाती के संबंध में तकनीकी पहलू व योग्यता के बारे में प्राचार्य ही बेहतर बता सकते हैं। उन्हीं की मंजूरी से ये तैनातियां हुई हैं।

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