घरेलु हिंसा तथा दहेज प्रताड़ना के मामले में राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी तथा चित्तौड़गढ़ जिले के बेगूं में पद स्थापित उपखंड अधिकारी मुकेश मीणा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दो दिन पहले भीलवाड़ा की अदालत में पुलिस उनके खिलाफ आरोप पत्र पेश कर चुकी है, वहीं अब राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने भीलवाड़ा के पुलिस अधीक्षक से तीस दिन में पुलिस की जांच रिपोर्ट तलब कर ली है।
मिली जानकारी के अनुसार भीलवाड़ा जिले के मांडल कस्बे में पद स्थापित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पूनम मीणा ने पांच जुलाई 2020 को अपने पति जयपुर के टाेंक फाटक निवासी मुकेश मीणा (बेगूं में पद स्थापित आरएएस अफसर उपखंड अधिकारी) के खिलाफ मारपीट तथा दहेज के लिए प्रताड़ित करने का मामला दर्ज कराया था। इसमें पीड़िता ने बताया था कि उनका विवाह 19 अप्रैल 2018 काे मुकेश मीणा से हुआ था। मुकेश और उसके परिवार के सदस्य 5 लाख रुपए दहेज की मांग काे लेकर लगातार उसे प्रताड़ित कर रहे थे। आराेपी ने 30 जून 2020 काे पीड़िता से गंभीर मारपीट की, जिसका सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया था।
मामले की जांच महिला थाना पुलिस, अजमेर ग्रामीण के उप अधीक्षक और उसके बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सहाड़ा चंचल मिश्रा को दी गई। मिश्रा का तबादला होने पर एएसपी सहाड़ा गोवर्धनलाल खटीक ने इसकी जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट महिला थाने को सौंप दी थी। जिसमें आरोपी मुकेश मीणा को दोषी बताया गया।
14 महीने बीतने के बाद भी महिला थाना पुलिस के अनुसंधान रिपोर्ट काेर्ट में पेश नहीं करने पर पिछले दिनाें राजस्थान हाईकाेर्ट ने पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी और उसके बाद महिला थाना प्रभारी शिल्पा भादविया ने 29 सितम्बर को आरोपी उपखंड अधिकारी मुकेश मीणा को अदालत में पेश करते हुए उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए और 323 के तहत चार्जशीट न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम दो भीलवाड़ा के समक्ष पेश कर दी। उधर राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए भीलवाड़ा के पुलिस अधीक्षक को तीस दिन में जांच रिपोर्ट उनके समक्ष पेश करने के आदेश दिए हैं।