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दिल्ली/एनसीआर

भारत का विश्‍व को डिजिटल गिफ्ट, एक दर्जन देशों को सेवाएं देगा CoWIN एप

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CoWIN प्‍लेटफॉर्म को लेकर देश में कोविड टीकाकरण को सफल बनाने के बाद अब विदेशों में भी मांग की जा रही है. जल्‍द ही यह विश्‍व के एक दर्जन से ज्‍यादा देशों को अपनी सेवाएं देगा. देशों के साथ एमओयू को लेकर गतिविधियां चल रही हैं.

नई दिल्‍ली. भारत ने हाल ही में कोरोना के खिलाफ चल रहे टीकाकरण अभियान के तहत 100 करोड़ वैक्‍सीनेशन (100 Crore Vaccination) का रिकॉर्ड बनाया है. कोविड वैक्‍सीन को लेकर देश की इतनी बड़ी उपलब्धि में जहां स्‍वास्‍थ्‍य कर्मचारियों और वैज्ञानिकों का योगदान रहा है वहीं स्‍वदेशी कोविन एप्लिकेशन (Swadeshi CoWIN Application) इस अभियान की रीढ़ बनकर उभरा है. कोविन प्‍लेटफॉर्म से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को व्‍यवस्थित तरीके से इतनी बड़ी उपलब्धि दिलाने में इस पोर्टल का काफी योगदान है. हालांकि इसके बनने से लेकर समय-समय पर हुए बदलाव इतने आसान नहीं थे. देश में कोविड टीकाकरण (Covid Vaccination) को सफल बनाने के साथ ही अब इसकी विदेशों में भी मांग की जा रही है. जल्‍द ही यह विश्‍व के कई देशों को अपनी सेवाएं देगा.

भारत में टीकाकरण के लिए कोविन एप के इस्‍तेमाल से लेकर विदेशों में इसकी मांग को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ और कोविन इंचार्ज डॉ. आरएस शर्मा ने विस्‍तार से बातचीत की हैं.

जवाब- कोविन का महत्व जानने के लिए सबसे पहले उस स्थिति की परिकल्पना कीजिए जबकि हमें इतने बड़े टीकाकरण अभियान को बिना इस तकनीकि सहायता के संचालित करना होता. वैश्विक स्तर पर कोविड महामारी की बदलती स्थिति और अनिश्चितता और वैक्सीन की कमी के बीच टीकाकरण को ट्रैक करना और भौगौलिक रूप से टीकाकरण के समान वितरण का पता लगाना जरूरी था. ऐसे में कोविन ने ही इसमें महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा की है. सबसे अहम एक नई वैक्सीन के लगने के बाद होने वाले दुष्प्रभावों की मॉनिटरिंग एक सुसंगठित व्यवस्था एईएफआई के अंर्तगत करना, वैक्सीन लगाकर सबको संक्रमण से सुरक्षित करना और वैक्सीन के दुष्प्रभावों को एक बड़ी आबादी के लोगों में समझना अपने आप में अनुकरणीय है.

खास बात है कि टीकाकरण के डिजिटल प्रमाणपत्र (Digital Certificate) को लेकर जबकि यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं था कि इसका प्रयोग किस तरह किया जाएगा, अब यह राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय स्तर की यात्राओं के साथ ही कार्यस्थल पर काम करने के लिए यह प्रमाणित हो गया है कि वैक्सीन प्रमाणपत्र धारक ने कोविड का वैक्सीन (Covid Vaccine) लिया हुआ है और यह पूरी तरह सुरक्षित है. कोविड टीकाकरण की इस स्थिति को प्राप्त करने के लिए तेज गति से काम करने और एक बड़ी आबादी को वैक्सीन के माध्यम से सुरक्षित करना जरूरी था, कोविन प्लेटफार्म (CoWIN Platform) की सहायता के बिना मानवीय प्रयास से यह संभव नहीं था. कोविन प्लेटफार्म की कुशलता और गति की सहायता से ही नौ महीने में जीरो से लेकर सौ करोड़ टीकाकरण प्राप्त किया गया.  कोविन की वजह से टीकाकरण अभियान पूरी पारदर्शिता के साथ संचालित किया जा सका.

सवाल- कोविन की वजह से टीकाकरण अभियान में किस तरह पारदर्शिता आई?

जवाब- मूल रूप से कोविन ने लोगों और व्यवस्था के बीच विषमता को कम किया. सबके लिए वैक्सीन का लोकतंत्रीकरण संभव हो सका. शुरूआत से ही छोटी से छोटी जानकारियां जैसे कि टीकाकरण आपके घर के नजदीक के किस केन्द्र पर हो रहा है, स्लॉट खाली है या नहीं आदि ने टीके की ब्लैक मार्केटिंग की संभावना को लगभग खत्म कर दिया. कोविन ने सभी स्टेक होल्डर को एक सामान रूप से रखा और व्यवस्था को पारदर्शी रखा जा सका. अपने अनुभवों से हमें अभी तक यह पता चला कि कैसे थोड़ी सी असावधानी से लोगों की महत्वपूर्ण जानकारियां लीक हो जाती हैं या गोपनीय नहीं रहतीं विशेषकर ऐसे संकट के समय में. लिहाजा हमने कोविन प्लेटफार्म को कुछ इस तरह डिजाइन किया कि यहां लाभार्थियों की जानकारी गोपनीय रहें और संदेश एंड टू एंड या प्राप्तकर्ता से प्रेषित करने वाले तक ही सीमित रहे.

यहीं नहीं वीआईपी लोगों से लेकर आम जनता सभी ने टीकाकण के लिए एक ही व्यवस्था को फॉलो किया, कोविन तकनीकी प्लेटफार्म की वजह से सभी एक सामान हो गए. सही मायने में कोविन प्लेटफार्म की भूमिका अहम रही जिसकी वजह से यह सुनिश्चित हो सका कि जीवन रक्षा संसाधनों तक पहुंच विशेषाधिकार से नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर निर्धारित होती है और वैक्सीन की योग्यता या पात्रता कोविड-19 वैक्सीन पॉलिसी के अंर्तगत तय की गईं. जिसमें शुरुआत स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर से की गई, इसके बाद उम्र और कोमोरबिडिज बीमारियों की श्रेणी तय की गई, हमने शुरू से ही यह तय किया कि कोविड संक्रमण के जोखिम वाले लोगों को सबसे पहले वैक्सीन दिया जाएगा.

सवाल- देश में डिजिटल सहभागिता के बारे में आपका क्या कहना है, जहां डिजिटल पहुंच नहीं हैं ऐसा नहीं लगता उन लोगों को कोविन का लाभ नहीं मिल पाया?

जवाब- देश में डिजिटल पहुंच पर बहस निराधार है. शुरूआत से ही हम डिजिटल पहुंच को लेकर काफी सर्तक रहे हैं, हमने व्यवस्था को कुछ इस तरह डिजाइन किया कि सभी के डाटा पूरी तरह सुरक्षित रहें और डिजिटलाइजेशन की गोपनीयता भी बनी रहे. इसका आश्य यह हुआ कि व्यक्तिगत रूप से कोविन प्लेटफार्म पर पहले लॉग-इन कर सकेगें, इसके बाद जानकारियों के आधार पर उनका पंजीकरण आगे बढ़ता जाएगा. ऐसे लोग जो बड़ी संख्या में कोविन पर पंजीकरण नहीं करा सकेगें वह वैक्सीन सेंटर पर पहुंच कर वहां मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों की मदद से कोविन प्लेटफार्म पर अपने पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी कर सकेगें. अब तक हुए कुल टीकाकरण में 70 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण वॉक-इन या केन्द्र पर पहुंचने के बाद किया गया, इसके लिए लाभार्थियों को किसी तरह का अपॉइंटमेंट नहीं दिया गया और सभी का डाटा सीवीसी या कोविड वैक्सीनेशन सेंटर पर ही दर्ज किया गया.

इसके अतिरिक्त टीकाकरण में तकनीकि सहायता के लिए देशभर में 240000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर बनाए गए और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की सहायता से हेल्पलाइन नंबर 1075 शुरू किया गया.
कोविन प्लेटफार्म को कुछ इस तरह तैयार किया गया कि इसे कई भाषाओं में संचालित किया जा सके, कोविन पर 118 करोड़ मोबाइल कनेक्शन की मदद से 17 से अधिक भाषाओं में सहायता प्रदान की गई. हमने मोबाइल फोन नंबर को पंजीकरण के लिए गेटवे बनाया जिसमें हम एक नंबर पर एक से अधिक लाभार्थियों का पंजीकरण कर सकते हैं. हमने लाभार्थियों से केवल बहुत जरूरी जानकारियां जैसे नाम उम्र और लिंग ही मांगें. आधार के देशभर में 130 करोड़ से अधिक लाभार्थी होने और उन सभी का डिजिटल प्रमाणीकरण होने की वजह से आधार कार्ड नंबर देने की सिफारिश की गई. आधार के अतिरिक्त लाभार्थियों की प्रमाणित पहचान के लिए आठ अन्य विकल्प दिए गए.

कोविन प्लेटफॉर्म को इस तरह बनाया गया कि जिससे यह सर्वसुलभ और सहयोगी व्यवस्था हो. हमें यह अच्छी तरह पता था कि एक बार जैसे ही टीकाकरण की गति में तेजी आएगी, राज्य सरकारें, अस्पताल, लैबोरेटरी और अन्य थर्ड पार्टियां भी अपने क्षेत्र में टीकाकरण की गति बढ़ाने का प्रयास करेगीं. जिससे कि उनके राज्य या टीकाकरण केन्द्र पर उनकी अपनी व्यवस्था के माध्यम से टीकाकरण की गति बढ़ जाए. कोविन प्लेटफॉर्म कुछ इस तरह तैयार किया गया जिससे कि अन्य तकनीकि एप्लीकेशन भी आसानी से कोविन के साथ सामंजस्य कर निर्धारित व्यवस्था को आगे बढ़ा सकें. यही वजह है कि इस समय कोविन के साथ काम करने के लिए हमारे पास विभिन्न क्षेत्र के सौ से अधिक पार्टनर हैं, जिसमें स्वास्थ्य मिशन और राज्य की सरकारों की भी पार्टनरर्स हैं. इंफोसिस, मैक्स हेल्थकेयर, अपोलो अस्पताल, पेटीएम, व्हाट्सअप, ट्रेवल पोर्टल के अलावा कई अन्य पार्टनर्स सामने आए हैं.

सवाल- क्या अब भारत अन्य देशों को भी कोविन प्लेटफार्म की व्यवस्था निशुल्क देने जा रही है?

जवाब- कोविन ने जिन तरह देश में कोविड टीकाकरण का सफलता पूर्वक संचालन किया, हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस तकनीकि को अब अन्य देशों के साथ भी साक्षा करने के लिए कहा है. कोविन भारत की तरफ से विश्व के लिए डिजिटल गिफ्ट (India’s Digital Gift to World) होगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन को ध्यान में रखते हुए हमने पांच जुलाई 2021 को कोविन पर ग्लोबल कॉनक्लेव का आयोजन किया, जिसमें विश्वभर के 141 देशों ने भाग लिया, कुछ देशों के मंत्रियों ने कॉनक्लेव का प्रतिनिधित्व किया.
अब हम इस संदर्भ में कॉनक्लेव में भाग लेने वाले एक देश के साथ एमओयू हस्तांतरण के चरण में हैं, जबकि एक दर्जन से अधिक देश अभी कतार में हैं, जो कोविन जैसी व्यवस्था अपने देश में भी लागू करना चाहते हैं. देश को भारत निर्मित इस उत्पाद पर गर्व है.

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