How to negotiate salary: इंटरव्यू के दौरान सैलरी के बारे में कभी भी जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेना चाहिए. इससे आपकी टेक होम सैलरी भी बढ़ सकती है. साथ अन्य पर्क भी शामिल हो सकते हैं.
How to negotiate salary during interview: इंटरव्यू के दौरान नियोक्ता की तरफ से नियुक्त किए गए अधिकारी आपसे बहुत सी बातें करते हैं. जिसमें आपकी पर्सनॉलिटी से लेकर आपके परिवार के बारे में सवाल किए जाते हैं. इसके अलावा आपकी जॉब प्रोफाइल के बारे में बातें की जाती हैं. लेकिन, जब सैलरी की बात आती है, तो आप इस बात का ध्यान रखें कि नियोक्ता को यह कत्तई न बताएं कि आपको कितनी सैलरी चाहिए. जितना हो सके सैलरी को लेकर देर करें. जब आपसे एक निश्चित सैलरी की बात की जाए, तो आप यह कहकर टाल दें कि आपकी इंडस्ट्री के नॉर्म्स को फॉलो करते हैं. यदि इंटरव्यूअर आप दबाव बनाए, तो कहें कि आप एक सुटेबल प्रपोरजल के बारे में सोच रहे हैं. इसके बाद यह कहें कि आप ने जो प्रस्ताव दिया है, कंपनी की स्थिति कहीं उससे ज्यादा अच्छी है. इस पर एक बार नियोक्ता की तरफ से अपनी बात रखी जाती है, तो आप यहां पर बातचीत बंद कर सकते हैं. अगर नियोक्ता के प्रस्ताव से खुश हैं, तो ठीक है. वर्ना अधिक के बारे में बातचीत जारी रख सकते हैं.
ज्यादा लाभ पाने के लिए विराम लें
जब नियोक्ता की तरफ से पहला प्रस्ताव आता है, तो थोड़ा रुककर प्रतिक्रिया दें. जब आप सोचने के लिए समय लेते हैं, तो सामने बैठे व्यक्ति पर प्रस्ताव का कारण समझाने या कुछ बेहतर कहने का दबाव बनता है. जिससे यह पता चलता है कि उनके लिए क्या महत्वपूर्ण है और आपको किन बातों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. देर से दी गई प्रतिक्रिया आमतौर पर एक उच्च प्रस्ताव में बदल सकती है
पूरे पैकेज पर दौड़ाएं नजर
नियोक्ता की तरफ से आपको जो प्रस्ताव मिला है, उसमें से आपको यह देखना चाहिए कि अन्य लाभों की तुलना में आप कितना ज्यादा नकद मिल रहा है. इसके बारे में आपको लचीला रुख अपनाना चाहिए. साथ ही आपको उन भत्तों के बारे में सवाल करना चाहिए, जो नियोक्ता आपको नौकरी के साथ देने को तैयार है. जैसे- ग्रुप मेडिकल बीमा आदि. इसमें आपको अपने मां-बाप को भी कवर करने की बातें होनी चाहिए.
अपनी बात पर रहें अटल
नियोक्ता के साथ बातचीत में कभी हार न मानें. यदि आपसे कहा जाए कि आपके जॉब प्रोफाइल को लेकर यह अधिकतम मूल वेतन है, तो साइन-ऑन बोनस और एक वर्ष के बजाय छह महीने के बाद वेतन वृद्धि के लिए कहें. ‘नहीं’ के आगे पीछे कर सकत हैं, लेकिन हर बार बढ़ोतरी के बारे में अपने कारण का अवश्य उल्लेख करते रहें. यदि कोई चर्चा बिना किसी निष्कर्ष के समाप्त हो जाती है, तो आगे बढ़ाने के लिए दो दिनों में फिर से कनेक्ट करें. इससे आपको कई लाभ मिल सकते हैं. जिसमें लचीले कामकाजी घंटे, माता-पिता के लिए स्वास्थ्य बीमा या बेहतर वैरिएबल बोनस मिल सकता है.
समाप्त करने की क्या हो रणनीति?
जब आपसे वेतन, पदनाम, बोनस, भत्तों या प्रतिपूर्ति जैसे कई मोर्चों पर बातचीत करने के लिए चर्चा शुरू की जाए, तो नियोक्ता की यह बात मानने के बजाय पूरी साफ होनी चाहिए कि आप केवल एक चीज में रुचि रखते हैं. बाद में स्वीकार करने के लिए जगह पाने के लिए हमेशा आप जो चाहते हैं उससे ज्यादा को लेकर अपनी बात रखें.
जल्दबाजी में स्वीकार या अस्वीकार न करें
किसी प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार या अस्वीकार न करें. पहले वाले प्रस्ताव को उसी टेबल पर छोड़ दें, जो आपको दिए जाने के लिए प्रस्तावित किया गया है. लेकिन, बाद वाला आपको अतिरिक्त अनुलाभों से वंचित करता है जो प्रस्ताव को सार्थक बना सकता है. साथ ही, हमेशा लिखित में प्रस्ताव प्राप्त करें. कोई भी उचित नियोक्ता लिखित प्रस्ताव के आपके अनुरोध को अस्वीकार नहीं करेगा. यदि वे मना करते हैं, तो फर्म के अन्य कर्मचारियों से मानक प्रथाओं के बारे में पूछें या अपने जोखिमों पर फिर से विचार करें.
टैक्स को अपनी आय में शामिल न होने दें
जिन उम्मीदवारों को नौकरी के प्रस्ताव मिलते हैं, वे अपने नियुक्ति पत्र मिलने पर काफी उत्साहित होते हैं. लेकिन यह खुशी अक्सर पहली तनख्वाह मिलने पर घबराहट में बदल जाती है. शुद्ध राशि आमतौर पर उनकी अपेक्षा से बहुत कम होती है. कटौती और कर एक लाख रुपये प्रति माह के वेतन के पैकेज को 28% तक कम कर सकते हैं.
पैकेज के कई घटकों का भुगतान आपको हर महीने नहीं किया जाएगा. आपको चिकित्सा और जीवन बीमा की लागत का भुगतान नहीं किया जाता है. आपको भविष्य निधि या ग्रेच्युटी राशि में कंपनी का योगदान भी नहीं मिलेगा. वास्तव में, भविष्य निधि (मूल वेतन का 12%) में आपका अपना योगदान आपके वेतन से काट कर आपके खाते में जमा कर दिया जाएगा. अगर सालाना बोनस का भुगतान किया जाता है, तो यह राशि भी हर महीने आपके बैंक तक नहीं पहुंचेगी.
टैक्स में बड़ी कटौती होगी. अगर आप किराए पर रहते हैं तो हाउस रेंट अलाउंस (HRA) के लिए टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. व्यक्ति धारा 80C के तहत निवेश करके अपनी कर योग्य आय को 1.5 लाख रुपये तक कम कर सकते हैं. लेकिन नए अर्जक नियमों को नहीं जानते हैं और उनके पास कोई कर बचत निवेश नहीं है, इसलिए उनकी कंपनियां एचआरए पर कर लगाती हैं और अपनी कर देयता की गणना करते समय केवल भविष्य निधि योगदान को ध्यान में रखती हैं.