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हिमाचल प्रदेश

शिमला में तेंदुए के हमलों से सहमे लोग, शहरी क्षेत्र में फ‍िर दिखा खूंखार जानवर, डाउनडेल की घटना से हर कोई स्‍तब्‍ध

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Shimla Leopard Attack, जिला शिमला में तेंदुए के हमलों से लोग दहशत में हैं। दीपावली के दिन आंगन से बच्‍चे को उठा ले जाने के बाद यह दहशत और बढ़ गई है। शिमला के फागली इलाके में शनिवार शाम के समय तेंदुआ दिखाई देने के बाद लोग सहमे हुए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि फागली क्षेत्र के आनंद वाटिका के समीप रात को करीब 7:30 बजे तेंदुआ नजर आया। प्रत्यक्षदर्शी राजेश कुमार का कहना है कि वह शनिवार शाम के समय निर्माणाधीन मकान के समीप रेत ढोने का काम कर रहे थे। रेत के ढेर के समीप उन्हें तेंदुआ दिखाई दिया। उनका कहना है कि पहली नजर में उन्हें लगा कि वह एक बड़ी बिल्ली है लेकिन थोड़ी देर में तेंदुए को देख हैरान रह गए। तेंदुआ जंगल की ओर भाग गया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि तेंदुआ आने की खबर मिलने के बाद आसपास के लोग इक्‍ट्ठे हो गए और उन्होंने भी तेंदुए को जंगल की ओर जाते हुए देखा। लोगों का कहना है कि रेत के ढेर पर तेंदुए के पैरों के निशान साफ दिखाई दे रहे थे। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि जल्द तेंदुए को पकड़कर लोगों को डर से मुक्त किया जाए। लोग घरों से बाहर निकलने में घबरा रहे हैं।

तेंदुए के हमलों पर रोक के लिए सख्त कदम उठाए निगम व वन विभाग

शिमला। शिमला नागरिक सभा ने डाउनडेल इलाके से तेंदुए द्वारा पांच वर्षीय बच्चे की जान लेने के घटनाक्रम के लिए नगर निगम शिमला व वन विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। सभा ने सरकार से मांग की है कि नगर निगम शिमला व वन विभाग को निर्देश दिए जाएं कि इस तरह के हादसों पर रोक लगाने के लिए तुरंत सख्त कदम उठाए जाएं। नागरिक सभा ने सरकार से मांग की है कि पिछले कुछ महीनों में तेंदुए के हमले का शिकार हुए दो बच्चों के स्वजनों को कम से कम 10-10 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाए। नागरिक सभा के अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व सचिव कपिल शर्मा ने शिमला शहर के बीचोंबीच इस तरह के हादसों पर हैरानी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि डाउनडेल शहर के बीचोंबीच है। जब इस तरह की घटना यहां पर हो सकती है तो फिर शिमला शहर के इर्द-गिर्द के इलाकों में क्या हाल होगा। डाउनडेल, नाभा, फागली व कनलोग जैसे शहर के रिहायशी इलाकों में तेंदुए बेखौफ घूम रहे हैं। अगर कनलोग में अगस्त में बच्ची को तेंदुए द्वारा उठाने की घटना को वन विभाग ने गंभीरता से लिया होता तो डाउनडेल की यह घटना नहीं होती।

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