नई दिल्ली, रायटर्स। इस साल 10.5 अरब डॉलर (करीब 779 अरब रुपए) फ्रॉड और चोरी की भेंट चढ़ चुके हैं। एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि Defi प्लेटफॉर्म के कारण रिस्क बढ़ रहा है। ये प्लेटफॉर्म यूजर को लेंडिंग, बॉरोइंग और सेव करने की छूट देते हैं। यह ऑप्शन Crypto currency में मिलता है। इसमें बैंकों की जरूरत नहीं पड़ती।
जानकारों के मुताबिक यह तकनीक फाइनेंस सर्विस के लिए सस्ती और आसान है। इस साल Defi साइटों पर कैश जमकर आया है। इससे crypto currency में निवेशकों की दिलचस्पी का भी पता चलता है। कई निवेशकों को कम से कम ब्याज पर लोन मिला है। उनसे हाई रिटर्न का वादा किया गया है। इसके साथ ही इस अनियमित क्षेत्र में क्राइम भी बढ़ा है।
लंदन स्थित ब्लॉकचेन एनालिटिक्स Elliptic के मुताबिक Defi Apps के जरिए निवेशकों को 2020 से अब तक 12 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। इसमें ज्यादा मामले 2021 के हैं। साइबर चोर बग के जरिए इन ऐप में सेंध लगाकर लोगों को लूट रहे हैं। डीसेंट्रलाइज्ड ऐप्स पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि वे किसी थर्ड पार्टी कंट्रोल को नहीं रोक सकते।
Elliptic के मुताबिक कई Defi Platforms ने सुरक्षा के उपाय किए हैं। इसके लिए उन्होंने बाहरी कंपनियों की मदद ली। अपने कोड का ऑडिट कराया। अनुमान के मुताबिक 86 अरब डॉलर की क्रिप्टो करंसी अभी इन प्लेटफॉर्म पर जमा है। जो एक साल पहले सिर्फ 12 अरब डॉलर थी।