All for Joomla All for Webmasters
समाचार

Coronavirus B.1.1.529 Variant पर अब तक का अपडेट: एड्स मरीज से निकला, 32 म्यूटेशन, वैक्सीन प्रतिरोधी होने की आशंका

coronavirus

Coronavirus B.1.1.529 Variant: मेल ऑनलाइन से बातचीत में वैज्ञानिकों ने कहा कि वैरिएंट में बहुत ज्यादा म्यूटेशन से होने से यह स्ट्रेन ‘अस्थिर’ भी हो सकता है, जोकि इस स्ट्रेन के खिलाफ भी काम कर सकता है और बहुत ज्यादा संक्रामक होने से रोक सकता है. बोत्स्वाना में अभी तक इस वैरिएंट के तीन मामले मिले हैं और दक्षिण अफ्रीका में इसके 6 मामले पाए गए हैं. वहीं हांगकांग में एक 36 वर्षीय व्यक्ति भी इस वैरिएंट से संक्रमित पाया गया है, जोकि हाल ही में अफ्रीका की यात्रा से लौटा है.

नई दिल्ली. ब्रिटेन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना के नए वैरिएंट (Coronavirus New Variant) को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि ये वैरिएंट ‘बोत्स्वाना’ में मिला है, और दुनिया भर में अब तक मिले कोरोना के वैरिएंट्स में सबसे ज्यादा म्यूटेशन इस वैरिएंट में देखने को मिल रहा है. ब्रिटिश अखबार डेली मेल के हवाले से इकोनॉमिक टाइम्स ने ये जानकारी दी है. इस वैरिएंट को ‘Nu’ (Nu Variant) नाम दिया गया है. हालांकि इस वैरिएंट के अभी तक 10 मामले ही सामने आए हैं, लेकिन ये अब तक तीन देशों में फैल गया है और माना जा रहा है इस वैरिएंट का फैलाव कहीं ज्यादा है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस वैरिएंट में 32 म्यूटेशन हैं, जोकि इस वैरिएंट को बहुत ज्यादा संक्रामक और वैक्सीन प्रतिरोधी बनाते हैं.

डेली मेल की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘Nu’ वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में किसी भी अन्य वैरिएंट के मुकाबले ज्यादा बदलाव है. रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में जेनेटिस्ट प्रोफेसर फ्रैंकोइस ब्लोक्स के हवाले से लिखा गया है, ‘ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ये वायरस किसी कमजोर इम्युन सिस्टम वाले मरीज से निकला है, जिसे कोई गंभीर बीमारी रही हो. संभवतः एड्स से पीड़ित, जिसका इलाज नहीं हो रहा हो.’

वहीं इंपीरियल कॉलेज में वॉयरोलॉजिस्ट डॉ टॉम पिकॉक ने कहा, ‘Nu वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में बदलाव की वजह से मौजूदा समय में उपलब्ध वैक्सीन की चुनौतियां बढ़ जाती हैं और वायरस से मुकाबला मुश्किल हो सकता है. उन्होंने कहा कि मौजूदा वैक्सीन को वायरस के पुराने वैरिएंट्स के लिए तैयार किया गया है.’ डॉ. टॉम पिकॉक ने कहा कि नए वैरिएंट के म्यूटेशन बेहद खतरनाक हैं, बता दें कि डॉ टॉम ने ही सबसे पहले इस वैरिएंट के संक्रमण को पहचाना था. इस वैरिएंट को साइंटिफिक तौर पर B.1.1.529 नाम दिया गया है. विशेषज्ञों ने इस वैरिएंट को डेल्टा वैरिएंट से भी खतरनाक बताया है, और कहा है कि इस वैरिएंट से ज्यादा खतरनाक और कुछ नहीं हो सकता है.

हालांकि मेल ऑनलाइन से बातचीत में वैज्ञानिकों ने कहा कि वैरिएंट में बहुत ज्यादा म्यूटेशन से होने से यह स्ट्रेन ‘अस्थिर’ भी हो सकता है, जोकि इस स्ट्रेन के खिलाफ भी काम कर सकता है और बहुत ज्यादा संक्रामक होने से रोक सकता है. वैज्ञानिकों ने कहा कि वैरिएंट को लेकर बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अभी इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि ये वैरिएंट बहुत ज्यादा संक्रामक है.

B.1.1.529 वैरिएंट के अभी तक कितने केस
बता दें कि बोत्स्वाना में अभी तक इस वैरिएंट के तीन मामले मिले हैं और दक्षिण अफ्रीका में इसके 6 मामले पाए गए हैं. वहीं हांगकांग में एक 36 वर्षीय व्यक्ति भी इस वैरिएंट से संक्रमित पाया गया है, जोकि हाल ही में अफ्रीका की यात्रा से लौटा है. हालांकि ब्रिटेन में इस संक्रमण का कोई केस अभी तक नहीं मिला है.

भारत में विदेश से लौटे लोगों की सख्त जांच के आदेश
भारत सरकार ने भी नए वैरिएंट को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी है और एयरपोर्ट पर विदेश यात्रा से लौट रहे लोगों को ज्यादा सतर्कता के साथ चेकिंग करने को कहा गया है. हालांकि भारत में इस वैरिएंट से संक्रमण का कोई मामला नहीं मिला है.

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों को पत्र भेजकर गाइंडलाइंस में शामिल ‘जोखिम’ वाले देशों के यात्रियों की सख्त जांच और स्क्रीनिंग करने का निर्देश दिया है.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top