Delhi Crime: इस साल जनवरी माह में एक कारोबारी अजय शर्मा ने द्वारका नॉर्थ थाने में शिकायत दी थी. पुलिस को कारोबारी ने शिकायत दर्ज कराते हुए जानकारी दी थी कि उसके बेटे को जान से मारने की धमकी भरी कॉल की गई है और 10 लाख रुपए की रंगदारी मांगी गई है. शिकायत के बाद मामला दर्ज कर जांच की गई. करीब 329 दिनों की जांच व टेक्निकल सर्विलांस के माध्यम से ट्रैक करने के बाद तीनों को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया.
नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) आजकल साइबर क्राइम (Cyber Crime) से जुड़े मामलों को त्वरित तरीके से निपटाने के लिए साइबर थाने (Cyber Thana) खोल रही है. हर जिले में इस तरह के थाने खोले गए हैं और खोलने का काम किया भी जा रहा है. इसके अलावा जिला पुलिस साइबर सेल (Cyber Cell) से टेक्नीकल सर्विलांस की मदद से भी अपराधियों को दरदबोचने का काम भी करती आ रही है. ताजा मामला द्वारका जिले का सामने आया है जहां हांगकांग के इंटरनेशनल सर्वर (Hong Kong International Server) का उपयोग कर रंगदारी मांगने के मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है.
द्वारका जिला के डीसीपी शंकर चौधरी के मुताबिक इस साल जनवरी माह में एक कारोबारी अजय शर्मा ने द्वारका नॉर्थ थाने में शिकायत दी थी. पुलिस को कारोबारी (Businessman)ने शिकायत दर्ज कराते हुए जानकारी दी थी कि उसके बेटे को जान से मारने की धमकी भरी कॉल की गई है.
कारोबारी को तीन आरोपियों की ओर से बेटे के जान से मारने की धमकी देकर 10 लाख रुपए की रंगदारी देने को कहा था. शिकायत के बाद मामला दर्ज इसकी जांच की गई. करीब 329 दिनों की जांच व टेक्निकल सर्विलांस (Technical Surveillance) के माध्यम से ट्रैक करने के बाद तीनों को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया.
इन तीनों गिरफ्तार आरोपियों की पहचान संदीप (23), राकेश कुमार (31) और जाकिर (33) के रूप की गई है. संदीप ने फर्जी सिम के लिए कागजात बनाए थे. वहीं, राकेश कुमार ने सिम उपलब्ध कराए थे और जाकिर ने अपना मोबाइल दिया था. राकेश एक इंटरनेशनल सिम देने वाली कंपनी का रिप्रेजेंटेटिव है. पुलिस के अनुसार इस मामले में और भी गिरफ्तारी होने की संभावना है.
डीसीपी ने बताया कि इस मामले में एसीपी ऑपरेशन विजय सिंह यादव के निरीक्षण में स्पेशल स्टाफ के इंस्पेक्टर नवीन कुमार और साइबर सेल के सब-इंस्पेक्टर अरविंद के नेतृत्व में एसआई जयवीर, रणजीव त्यागी और बिजेंदर की टीम ने इंटरनेट कॉल की जांच शुरू की तो पता चला कि कॉल हांगकांग के सर्वर से आया था.
टीम ने इस कॉल किए गए सिम और उपयोग किए गए मोबाइल को ट्रैक किया, तो जानकारी मिली कि वीओआईपी कॉल के लिए गाजियाबाद के रहने वाले एक शख्स के नाम पर सिम जारी किया गया था. गाजियाबाद में छापेमारी कर तीनों को गिरफ्तार कर लिया.
वहीं इन आरोपियों ने पहचान नहीं उजागर नहीं होने के लिए जिस सिम को नंबर जनरेट के लिए यूज किया था उसको लेने के लिए फोटो किसी और का और पता किसी और का दिया था. इसके बाद ही रंगदारी की पूरी योजना तैयार की गई. लेकिन पुलिस की गहन और लंबी जांच के बाद आखिरी तीनों आरोपियों को धरदबोचने में कामयाबी हासिल कर ली.