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NPS Scheme: रिटायरमेंट के बाद भी नियमित आय का इंतजाम करता है एनपीएस, जानिए इसमें निवेश के पांच बड़े फायदे

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NPS Scheme: एनपीएस में किए गए निवेश पर पीपीएफ या एफडी से अधिक रिटर्न हासिल किया जा सकता है.

NPS Scheme: रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी को आसान बनाने के लिए नियमित आय का इंतजाम करना हो तो नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में निवेश एक शानदार विकल्प साबित हो सकता है. यह योजना वर्ष 2004 में शुरू की गई थी और पहले इसमें सिर्फ सरकारी कर्मचारी ही निवेश कर सकते थे लेकिन 2009 में इसे सभी के लिए खोल दिया गया. इस योजना के तहत रिटायरमेंट से पहले तक योगदान किया जाता है और फिर रिटायरमेंट के समय यानी 60 साल की उम्र पूरी होने पर इकट्ठी हुई राशि के एक हिस्से को एकमुश्त निकाल सकते हैं और शेष बची हुई राशि से नियमित तौर पर पेंशन के रूप में आय पा सकते हैं. एनपीएस में निवेश के कई फायदे हैं जैसे कि इसमें निवेश पर पीपीएफ या एफडी से भी अधिक रिटर्न हासिल कर सकते हैं. इसी प्रकार एनपीएस के तहत निवेश के और भी फायदे हैं.

NPS के तहत निवेश के पांच बड़े फायदे

  • FD-PPF में निवेश की तुलना में अधिक रिटर्न: एनपीएस के तहत पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड) और एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट) से अधिक रिटर्न पा सकते हैं.
  • टैक्स में मिलती है राहत: अगर आप किसी कंपनी के एंप्लाई हैं तो एनपीएस में अपने व अपनी कंपनी के योगदान पर सेक्शन 80 सीसीडी (1) के तहत 1.5 लाख रुपये तक के डिडक्शन का फायदा उठा सकते हैं. इस सेक्शन के तहत वेतन का अधिकतम 10 फीसदी डिडक्शन ले सकते हैं. हालांकि सेल्फ-एंप्लाइड टैक्सपेयर ग्रॉस इनकम का अधिकतम 20 फीसदी डिडक्शन पा सकते हैं. इसके अलावा 50 हजार रुपये तक का अतिरिक्त क्लेम हासिल कर सकते हैं यानी कि एनपीएस के तहत निवेश पर अधिकतम 2 लाख रुपये का डिडक्शन हासिल कर सकते हैं.
  • कंपनी को भी टैक्स छूट: ऐसा नहीं है कि एनपीएस के तहत योगदान पर सिर्फ कंपनी के एंप्लाई को ही टैक्स राहत मिलती है बल्कि कंपनी को भी फायदा मिलता है. कंपनी जितना योगदान करती है उस पर बिजनस खर्च के तहत टैक्स छूट का दावा कर सकती है.
  • फ्लेक्सिबिलिटी: एनपीएस के तहत कई निवेश विकल्प और पेंशन फंड चुनने का विकल्प मिलता है. सब्सक्राइबर्स अपनी पूंजी को बढ़ाने के लिए कोई विकल्प और फंड चुन सकता है. इसके अलावा खाते का पैसा कितना बढ़ा, इसे ट्रैक कर सकता है. अगर उम्मीद के मुताबिक पैसे नहीं बढ़ रहे हैं तो एक विकल्प या फंड मैनेजर को बदलने का भी विकल्प मिलता है.
  • कम लागत: एनपीएस को पीएफआरडीए पारदर्शी तरीके से रेगुलेट करती है. इसके तहत अकाउंट मेंटेनेंस कॉस्ट अन्य पेंशन प्रोडक्ट्स की तुलना में सबसे कम है. लंबे समय जैसे कि रिटायरमेंट के लिए निवेश की योजना बनाते समय यह खर्च बहुत मायने रखता है क्योंकि यह पूंजी का एक बड़ा हिस्सा खा सकता है.
    (सोर्स: नेशनल पेंशन सिस्टम ट्रस्ट और क्लियरटैक्स)

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