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राजस्थान

राजस्थान के 11 हजार सरपंचों ने फिर ठोकी ताल, जनवरी में होगा आंदोलन

 राजस्थान में गांव की सरकार के मुखिया एक बार फिर से सरकार से नाराज है. समझौता पूरा नहीं करने से खफा 11 हजार सरपंचों ने ​सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल

Jaipur: राजस्थान में गांव की सरकार के मुखिया एक बार फिर से सरकार से नाराज है. समझौता पूरा नहीं करने से खफा 11 हजार सरपंचों ने ​सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सरपंचों ने सरकार को सीधे तौर पर चेतावनी दी है कि यदि दिसंबर में पांच मांगे नहीं मानी गई, तो प्रदेशभर के सरपंच लामबंद होकर जनवरी में आंदोलन पर उतर आएंगे. यदि सरपंच आंदोलन पर उतर आए तो गांव का विकास एक बार फिर से ठप हो जाएगा. गांव की विकास की रफ्तार धीमी पड़ जाएगी.

सरपंच संघ के प्रवक्ता जयराम पलसानिया (Jairam palsaniya) का कहना है कि पांच प्रमुख मांगों को लेकर दिसंबर में हल करने का वादा किया था, लेकिन अब तक मांगे पूरी नहीं हो पाई. उन्होंने बताया कि सरपंचों की प्रमुख मांगे में से पहली छठे वित्त आयोग की बकाया चार किस्तों के करीब 5600 करोड रुपए पंचायत के खातों में स्थानांतरण करने, दूसरी सरपंचों के मानदेय को बढ़ाने, तीसरी जनता जल योजना (JANTA JAL YOJNA) और जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) का संचालन पीएचईडी द्वारा किए जाने, चौथी कोविड (Covid-19) हेल्थ सहायकों का मानदेय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग (Medical, Health & Family Welfare Department) द्वारा किया जाने, पंचायत द्वारा निजी खातेदारी में किए जाने वाले कार्य में समर्पण नामा के आदेश को निरस्त करके पूर्व मे पारित आदेश ₹100 के स्टांप पर सहमति पत्र लागू हो.

सरपंच संघ के जिला उपाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह मीणा (SURENDRA SINGH MEENA) का कहना है कि है कि सरपंच संघ लगातार आंदोलन कर रहा है, सरकार ने हमारे साथ समझौता किया लेकिन इसके बावजूद भी हमारी मांगे नहीं मानी. पंचायतीराज विभाग के प्रमुख सचिव, सचिव को ज्ञापन दिए गए लेकिन कोई असर नहीं हुआ. अब जनवरी में आंदोलन होकर रहेगा.

यह पहला मौका नहीं है जब सरपंचों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला बल्कि इससे पहले भी सरकार के साथ दो बार समझौता हुआ था. प्रशासन गांवों के संग अभियान से पहले भी आंदोलन करने की चेतावनी दी गई थी लेकिन अभियान से ठीक एक दिन पहले ही समझौता हुआ था. अब ऐसे में देखना यह होगा कि सरपंचो की मांगों को लेकर सरकार और पंचायतीराज विभाग कितना सजग होगा.

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