हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने आरोप लगाया कि सरकार का फैसला पूरी तरह से स्कूलों के हित में है. इससे प्राइवेट स्कूलों की लूट व मनमानी को वैधानिक मान्यता प्रदान की जा रही है. इससे शिक्षा के व्यवसायीकरण में और वृद्धि होगी. वहीं अभिभावकों का और अधिक आर्थिक व मानसिक शोषण बढ़ जाएगा.
फरीदाबाद. हरियाणा सरकार ने हाल ही में शिक्षा नियमावली 2003 में संशोधन करके प्राइवेट स्कूलों को हर साल ट्यूशन फीस में 8 से 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने की वैधानिक अनुमति प्रदान की है. इसके अलावा अन्य फंडों में भी फीस वसूलने की अनुमति दी है. सरकार के इस फैसले का अब पेरेंट्स विरोध कर रहे हैं. हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने आरोप लगाया है कि सरकार ने ये नियम प्राइवेट स्कूलों की सशक्त लॉबी के दबाव में बनाए हैं और अभिभावक इन नियमों का कड़ा विरोध करते हैं.
नियमों का विरोध जताने की तैयारी कर रहे मंच ने कहा कि नए कानूनों के विरोध में आगे की रणनीति तय करने के लिए प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है और सभी जिलों के अभिभावक संगठनों से कहा है कि वे बनाए गए नए नियमों के विरोध में अपना प्रस्ताव पारित करके मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री को तुरंत भेजें. मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा और प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार का फैसला पूरी तरह से स्कूलों के हित में है. इससे प्राइवेट स्कूलों की लूट व मनमानी को वैधानिक मान्यता प्रदान की जा रही है. इससे शिक्षा के व्यवसायीकरण में और वृद्धि होगी. वहीं अभिभावकों का और अधिक आर्थिक व मानसिक शोषण बढ़ जाएगा.
जबकि मंच प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा ने कहा कि स्कूल प्रबंधकों के पास पहले से ही काफी मात्रा में सरप्लस व रिजर्व फंड मौजूद है. अगर उनके पिछले 10 सालों के खातों की जांच व ऑडिट सीएजी से करायी जाए तो और अधिक सरप्लस फंड मिलेगा और उन्होंने जो लाभ के पैसे को अन्य जगह ट्रांसफर किया है और खातों में गड़बड़ी की है उसका भी पता चल जाएगा. ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन आईपा के जिला अध्यक्ष एडवोकेट बीएस बिरदी ने कहा कि उन्होंने आरटीआई के माध्यम से फरीदाबाद और गुरुग्राम के 100 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों की बैलेंस शीट व फार्म 6 की कॉपी हासिल की है जिसका अध्ययन करने पता चला है कि स्कूलों के पास पहले से ही काफी संख्या में रिजर्व व सरप्लस फंड मौजूद है. सभी स्कूल लाभ में हैं. लाभ कम दिखाने के लिए कई फालतू मदों जैसे लीगल, पैकिंग, एडवरटाइजमेंट, मनोरंजन, टूर एंड ट्रैवल, वार्षिक उत्सव, एनुअल डे, डोनेशन, स्कूल के नाम से जमीन खरीदने आदि अन्य कई गैर कानूनी मदों में लाखों रुपए खर्चा दिखाया गया है. इसके बाद भी जो करोड़ों रुपए लाभ के रूप में बचे उसको अन्य खर्चा के कोलम में दिखाकर आमदनी और खर्चों को बराबर कर दिया गया है.
मंच का कहना है कि अगर गैर कानूनी खर्चों को हटाया दिया जाए तो लाभ का पैसा और अधिक बढ़ जाएगा. मंच ने मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा को कई पत्र लिखकर स्कूलों के खातों की जांच व ऑडिट सीएजी से कराने की मांग लगातार कर रहे हैं लेकिन सरकार ने मंच की यह मांग न मानकर उल्टा स्कूल वालों की हर साल फीस बढ़ाने, सभी मदों में फीस वसूलने की मांग को नए नियम बनाकर मान लिया है. इससे अभिभावकों में काफी गुस्सा है. सरकार को तुरंत नए बनाए गए कानूनों को वापस लेना चाहिए और स्कूलों के खातों की जांच व ऑडिट सीएजी से कराने का आदेश देना चाहिए. ऐसा न होने पर सभी अभिभावक सड़कों पर उतर कर रोष प्रदर्शन करेंगे.