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दुनिया

महायुद्ध की आहट: यूक्रेन-रूस की जंग में कौन देगा किसका साथ, जानें सब कुछ

यूक्रेन और रूस के बीच बढ़ता तनाव दुनिया को महायुद्ध की तरफ धकेल रहा है. रूस यदि यूक्रेन पर हमला करता है तो फिर विश्व युद्ध भी शुरू हो सकता है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति रूस को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे चुके हैं. नाटो ने भी रूस को विवाद खत्म करने की सलाह दी है.

वॉशिंगटन: कोरोना संकट के बीच दुनिया में महायुद्ध की आहट सुनाई देने लगी है. रूस और यूक्रेन (Russia- Ukraine Tension) के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. अमेरिका और नाटो की चेतावनी के बावजूद रूस अपने रुख पर कायम है और सीमा पर सैनिकों का जमावड़ा बढ़ा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक,  यूक्रेन की सीमा पर टैंकों और तोपों के साथ रूस के अभी एक लाख सैनिक तैनात हैं और जनवरी के अंत तक इसकी संख्या 1.75 लाख तक बढ़ सकती है.

Ukraine के साथ है US

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) स्पष्ट कर चुके हैं कि यदि रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. अमेरिका इस जंग में यूक्रेन का साथ देगा. बाइडेन ने 9 दिसंबर को यूक्रेन के राष्ट्रपति Volodymyr Zelenskiy से करीब 90 मिनट बात की थी और उन्हें भरोसा दिलाया था कि यूएस पूरी तरह से यूक्रेन साथ है. इतना ही नहीं यूएस प्रेसिडेंट ने इस बारे में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) से भी चर्चा की है.

इन देशों का भी मिलेगा साथ

यदि रूस और यूक्रेन जंग में उलझते हैं, तो ये महज दो देशों की जंग नहीं करेगी. यह विश्व युद्ध में भी तब्दील हो सकती है. मौजूदा स्थिति के अनुसार, यूक्रेन का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. उसके पक्ष में अमेरिका, 9 देशों का समूह बुखारेस्ट नाइन (रोमानिया, पोलैंड, हंगरी, बुल्गारिया, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया), जर्मनी और फ्रांस सहित कई देश हैं. हाल ही में इस विषय में यूरोपीय संघ के नेताओं ने ब्रसेल्स में बैठक की थी. इस बैठक में रूस से सीमा पर तनाव कम करने और आक्रामक बयानबाजी से बचने को कहा गया था. साथ ही मॉस्को पर प्रतिबंध लगाने जैसे फैसलों को लेकर भी बातचीत हुई थी.

NATO की नाराजगी और रूस का डर

नाटो भी रूस की तनाव पैदा करने की हरकतों पर नाराजगी जाता चुका है. नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग (Jens Stoltenberg) ने हाल ही में सीमा पर रूसी सैनिकों के जमावड़े की निंदा करते हुए कहा था कि मॉस्को को तनाव कम करने की दिशा में तुरंत काम करना चाहिए. दरअसल, रूस यूक्रेन को पश्चिमी देशों के सुरक्षा संगठन नाटो में जगह दिए जाने की कोशिशों से नाराज है. रूस को डर है कि अगर यूक्रेन NATO का सदस्य बना तो नाटो के ठिकाने उसकी सीमा के नजदीक खड़े कर दिए जाएंगे. हालांकि स्टोलटेनबर्ग ने रूस को भरोसा दिलाया है कि इससे उसको कोई खतरा नहीं होगा.

Russia के समर्थन में कौन?

अब यदि रूस का साथ देने वाले देशों की बात करें तो इसमें कोई भी बड़ा देश शामिल नहीं है. चीन जरूर आखिरी वक्त पर कोई खेल करने की कोशिश कर सकता है. रूस-यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) ने चीनी प्रेसिडेंट शी जिनपिंग (Xi Jinping) से बात की थी. न्यूज एजेंसी Reuters के अनुसार इस बातचीत में जिनपिंग ने पुतिन को भरोसा दिलाया कि वो पश्चिमी देशों की दादागिरी के खिलाफ उनके साथ खड़े हैं.

क्या है रूस-यूक्रेन विवाद?

रूस और यूक्रेन के बीच विवाद काफी पुराना है. यूक्रेन कभी रूसी साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था. 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद जब यूक्रेन को स्वतंत्रता मिली तभी उसने रूस की छत्रछाया से निकलने की कोशिशें शुरू कर दीं. इसके लिए यूक्रेन ने पश्चिमी देशों से नजदीकियां बढ़ाईं. विक्टर यानूकोविच के यूक्रेन के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद रूस ने यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता दिखाई और कथित तौर पर वहां के अलगाववादियों की मदद से यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया. यानूकोविच का झुकाव रूस के पक्ष में था और इसी वजह से उनके खिलाफ देश में माहौल बनने लगा था.

इस वजह से भी बिगड़े हालात

यूक्रेन और पश्चिमी देश कहते रहे हैं कि रूस यूक्रेन में अलगाववादियों की मदद कर रहा है, ताकि वहां की सरकार को अस्थिर कर सके. हालांकि, मॉस्को ने इन आरोपों से इनकार किया है. 2014 की एक विमान दुर्घटना को लेकर भी रूस पूरी दुनिया के निशाने पर आ गया था. कुआलालंपुर जा रहे मलेशिया एयरलाइंस के इस विमान को 17 जुलाई, 2014 को पूर्वी यूक्रेन में मार गिराया गया था. विमान में सवार सभी 298 यात्री इस दुर्घटना में मारे गए थे. डच अधिकारियों ने आरोप लगाया था कि रूस समर्थित अलगाववादियों के इलाके से एक रूसी मिसाइल से विमान को निशाना बनाया गया था. गौरतलब है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर तमाम प्रतिबंध भी लगा रखे हैं, इसकी वजह से भी वो दबाव की रणनीति के तहत यूक्रेन मुद्दे को भड़काता रहता है.

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