JPSC PT Result Controversy: झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान झारखंड लोकसेवा आयोग की ओर से आयोजित सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में कथित गड़बड़ी का विवाद छाया हुआ है. विपक्षी दल जेपीएससी अध्यक्ष अमिताभ चौधरी को बर्खास्त करने और मामले की जांच कराने की मांग कर रहे हैं. सोमवार को इस मसले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी बयान दिया.
रांची. झारखंड लोकसेवा आयोग की ओर से आयोजित सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में कथित गड़बड़ी का मुद्दा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में यह मसला छाया हुआ है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को इस मसले पर बयान दिया. उन्होंने सख्त रुख दिखाते हुए कहा कि विपक्ष सत्ता पक्ष को डिक्टेट नहीं कर सकता है. जेपीएससी पर मैं पुरानी बातों को कुरेदना नहीं चाहता हूं. उन्होंने विपक्ष के हमले का जवाब देते हुए कहा कि अगला नंगा जाए तो क्या हम भी हो जाएं? मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले के मामले में जांच चल रही है.
जेपीएससी-सिविल सर्विसेज की प्रारंभिक परीक्षा परिणाम में कथित धांधली का मसला जोर पकड़ता जा रहा है. विधानसभा के बाहर अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं तो सदन के अंदर विपक्षी पार्टियां सरकार पर हमलावर हैं. विपक्षी पार्टी भाजपा इस मसले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से सदन में बयान देने पर अड़े थे. सोमवार को मुख्यमंत्री ने इस पर बेहद तल्ख जवाब दिया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, ‘देश में पहली बार जेपीएससी (सिविल सेवा) की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आया है. आरक्षित श्रेणी के बच्चे सामान्य कैटेगरी में ज रहे हैं. इस बार सामान्य कैटेगरी में कम बच्चे उत्तीर्ण हुए हैं.’
‘मनुवादी लोगों के पेट में हो रहा दर्द’
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा में आगे कहा, ‘ST/SC/OBC के बच्चे आगे आ रहे हैं तो मनुवादी लोगों के पेट में दर्द हो रहा है. आंदोलन में विश्व हिन्दू परिषद के नेता को धरना पर बैठाया और इसके बाद आंदोलनकारियां को राशन-पानी पहुंचाया जाता है.’ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विपक्षी पार्टी भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि ऐसी डबल इंजन की सरकारी चलाई गई जिसकी बोगी में पैसेंजर ही नहीं थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि जेपीएससी एक स्वतंत्र संस्था है. परीक्षा परिणाम में राज्य सरकार ने कहीं कोई हस्तक्षेप नहीं किया है.
जेपीएससी पर कार्यस्थगन प्रस्ताव अमान्य
विपक्षी सदस्यों ने जेपीएससी-सिविल सेवा परीक्षा परिणाम को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव भी लाया था, जिसे अमान्य करार दे दिया गया. अनंत ओझा, लंबोदर महतो, विनोद सिंह, अमित मंडल, भानुप्रताप शाही और मनीष जायसवाल की ओर से कार्यस्थगन का प्रस्ताव पेश किया गया था. बता दें कि कार्यस्थगन प्रस्ताव स्वीकार होने पर सूचीबद्ध विषयों को छोड़कर सबसे पहले संबंधित मसलों पर बहस कराई जाती है.