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राजस्थान

गहलोत राज में विभागों के प्रमुख नहीं दे रहे हैं जांच की मंजूरी, भ्रष्टाचार पर नकेल के लिए एसीबी के बंधे हाथ

गहलोत सरकार ने राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी एसीबी के हाथ बांध रखे हैं। एसीबी को जांच के लिए सरकारी विभागों के मुखिया से अनुमति नहीं मिल पा रही है। एसीबी ने संबंधित विभागों के अध्यक्षों से पद के दुरुपयोग के करीब 250 मामलों में जांच के लिए अनुमति मांगी थी, लेकिन सिर्फ 15 में ही अनुमति मिली है। एसीबी के हाथ बंधे होने के कारण पद के दुरुपयोग के मामलों में जांच नहीं हो पा रही है। उल्लेखनीय है कि पद के दुरुपयोग मामले में नियोक्ता की अनुमति के बाद ही जांच शुरू हो पाती है। ऐसे में परिवाद दर्ज करने के लिए संबंधित विभाग से अनुमति लेना जरूरी होता है। एसीबी की ओर से भेजे गए मामलों में विभाग के जवाब का इंतजार किया जा रहा है। विभाग जवाब नहीं देते हैं तो फिर एसीबी मामलों  को ड्राप कर देगी। राजस्थान में पद के दुरुपयोग मामले में इजाजत किस रूप में ली जाए, इसे लेकर गाइडलाइन नहीं बनी है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में संशोधन के बाद एसीबी ने सरकार को गाइडलाइन बनाने का प्रस्ताव भेजा था। फिलहाल यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में हैं।

आरोपियों को नहीं मिल पार रही है सजा

एसीबी ने वर्ष 2021 में ट्रेप के 393 में मामले दर्ज किए। एसीबी चालान पेश करने में भी सफल रही। लेकिन पद के दुरुपयोग के मामलों में एसीबी को ज्यादा सफलता नहीं मिल पा रही है। विभागों से अनुमति नहीं मिलने के कारण आरोपी दंडित होने से बच रहे हैं। हालांकि, सीएम गहलोत ने एसीबी को एक्शन लेने की खुली छूट जरूर दे रखी है। लेकिन पद के दुरुपयोग के मामलों में एसीबी के हाथ भी बंधे हुए है। विभाग से अनुमति नहीं मिलने पर एसीबी के पास मामलों को ड्राप करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। केंद्रीय कानून में रंगे हाथ रिश्वत लेने के मामले में एसीबी को कार्रवाई से पहले अनुमति लेने की बाध्यता से मुक्त रखा गया है। लेकिन पद से जुड़े दुरुपयोग मामलों में प्रावधान है कि संबंधित कर्मचारी के जुड़े विभाग से अनुमति ली जाए। 

अनुमति नहीं मिलने पर जांच ठंडे बस्ते में 

गहलोत सरकार ने सत्ता में आते ही संदेनशील, जवाबदेही और पारदर्शी शासन देने का वादा किया था। सीएम गहलोत सार्वजनिक मंचों पर एसीबी की कार्यप्रणाली की तारीफ भी करते रहे हैं। सूत्रों के अनुसार एसीबी को पिछले साल अलग-अलग विभागों से दो दर्जन से अधिक शिकायतें मिली थी। लेकिन विभागों के अध्यक्षों से अनुमति नहीं मिल पा रही है। भ्रष्टाचार के खिलाफ एसीबी की कार्रवाई में सरकारी विभागों के मुखिया ही रोड़ा बन रह हैं। शिकायत के सत्यापन के बाद एसीबी ने आरोपी अफसरों के खिलाफ जांच करने या मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी लेकिन एक भी विभाग ने स्वीकृति नहीं दी। एसीबी के अधिकारियों का कहना है कि कानून में संशोधन होने के बाद जांच करने और मुकदमा करने के लिए संबंधिता विभाग की अनुमति लेनी पड़ती है। एसीबी को अनुमति नहीं मिलती है तो जांच ठंडे बस्ते में चली जाती है।

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