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हरियाणा में भ्रष्टाचार मामले में सात राजपत्रित अधिकारियों सहित 14 अफसरों पर दर्ज होगा आपराधिक केस

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हरियाणा में राज्य सतर्कता ब्यूरो ने जनवरी में नौ रिश्वतखोर अधिकारियों-कर्मचारियों को रंगे हाथ पकड़ा। मामले में हरियाणा के तीन राजपत्रित अधिकारियों और एक अराजपत्रित अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की सिफारिश कर दी गई है

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। राज्य सतर्कता ब्यूरो (विजिलेंस) ने बीते जनवरी माह में तीन राजपत्रित अधिकारियों सहित नौ सरकारी कर्मचारियों को 1500 रुपये से 50 हजार रुपये तक की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। तीन मामलों की जांच पूरी हो चुकी है जिनमें ब्यूरो ने प्रदेश सरकार से सात राजपत्रित अधिकारियों, सात अराजपत्रित अधिकारियों और तीन निजी लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की सिफारिश की है।

बीते एक महीने में सतर्कता ब्यूरो ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत सात मामले दर्ज कर लोक निर्माण (भवन एवं सड़क) विभाग के एक सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता सहित कुल 11 आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की। नौ आरोपितों को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया, जबकि कोर्ट के आदेश पर रोहतक के मुख्य अभियंता (सेवानिवृत्त) धर्मबीर दहिया और सिद्धांत दहिया के खिलाफ पीसी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन्हें रिश्वत लेते पकड़ा गया था।

बहादुरगढ़ में तैनात उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त राजा राम नैन को 50 हजार रुपये की रिश्वत तथा पानीपत में जिला उद्यान अधिकारी महावीर शर्मा को सरकारी कार्य करने की एवज में 30 हजार रुपये रिश्वत लेते काबू किया गया था। नारनौल के सतनाली में नायब तहसीलदार अमित कुमार और सोमबीर सिंह तथा रजिस्ट्री क्लर्क को 14 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया।

फरीदाबाद के गांव धौज में बलजीत, पटवारी तथा उसके सहायक ईश्वर को 1500 रुपये, खनन एवं भूविज्ञान विभाग सोनीपत में गार्ड ललित और खनन अधिकारी अशोक कुमार को 8500 रुपये तथा बिजली बोर्ड निसिंग (करनाल) में कनिष्ठ अभियंता अमित कुमार को पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया।

विजिलेंस ब्यूरो ने एक राजपत्रित अधिकारी, एक अराजपत्रित अधिकारी और चार निजी व्यक्तियों के खिलाफ पांच जांच दर्ज की हैं। इनमें से तीन जांच का निपटान किया जा चुका है। ब्यूरो ने दो विशेष व तकनीकी जांच की रिपोर्ट भी सरकार को भेजी है जिसमें तीन राजपत्रित अधिकारियों और एक अराजपत्रित अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश करते हुए संबंधित एजेंसी से 15 हजार 750 रुपये की रिकवरी करने की सिफारिश की गई है।

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