All for Joomla All for Webmasters
समाचार

Future of Russia Ukraine War: क्‍या विश्‍व युद्ध की ओर बढ़ रहा है रूस-यूक्रेन संघर्ष? आपके मन में उठ रहे हर सवाल का जवाब दे रहे हैं व‍िशेषज्ञ – Part-1

Russia Ukraine latest updates रूस यूक्रेन युद्ध का आज सातवां दिन है। भारत के आम नागर‍िकों का युद्ध से कोई लेना देना नहीं है लेकिन उसकी दिलचस्‍पी इसमें बढ़ती जा रही है। कई तरह के सवाल उसके मन में एक साथ कौंध रहे हैं? आपके सभी सवालों का जबाव…

नई दिल्‍ली, रमेश मिश्र। रूस यूक्रेन युद्ध का आज सातवां दिन है। भारत के आम नागर‍िक का इस युद्ध से भले ही कोई लेना देना न हो, लेकिन उनकी दिलचस्‍पी इस जंग में बढ़ती जा रही है। कई तरह के सवाल उसके मन में एक साथ कौंध रहे हैं? मसलन क्‍या यह जंग विश्‍व युद्ध में तब्‍दील हो जाएगा? अगर विश्‍व युद्ध हुआ तो अमेरिका की क्‍या भूमिका होगी? महायुद्ध के बाद क्‍या होगा? इस युद्ध में भारत की क्‍या भूमिका होगी? क्‍या भारत और रूस की दोस्‍ती कायम रहेगी? क्‍या भारत हरदम रूस का साथ निभाता रहेगा? विश्‍व युद्ध में चीन और पाक‍िस्‍तान की क्‍या भूमिका होगी? आदि-आदि। आइए जानते हैं इस पर प्रो. हर्ष वी पंत (आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रेटजिक स्टडीज प्रोग्राम के निदेशक)  की क्‍या राय है।

क्‍या रूस यूक्रेन जंग एक विश्‍व युद्ध की ओर बढ़ रहा है, क्‍या महायुद्ध का खतरा दुनिया के समक्ष है?

1- मेरी नजर में विश्‍व युद्ध का खतर नहीं है। इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि इसमें शामिल रूस एक परमाणु शक्ति संपन्‍न राष्‍ट्र है। उसके पास बड़ी मात्रा में परमाणु मिसाइलें हैं। उधर, यूक्रेन के समर्थन में शामिल अमेरिका और कई पश्चिमी देशों के पास परमाणु बम का जखीरा है। ऐसे में दोनों पक्ष अपनी सीमा रेखा को भलीभांति जानते हैं। इसलिए इसकी आशंका कम ही है कि यह युद्ध किसी महायुद्ध या विश्‍व युद्ध में तब्‍दील होगा। अलबत्‍ता अमेरिका और पश्चिमी देश रूस पर कठोर प्रतिबंध लगा सकते हैं। इसका असर रूस पर भयनाक पड़ेगा। रूस दुनिया के कई मुल्‍कों से अलग-थलग पड़ जाएगा। इसके दूरगामी परिणाम रूस के हितों पर पड़ेगा।

2- अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन यह बार-बार संकेत दे रहे हैं कि हमारी या नाटो की सेना यूक्रेन में नहीं प्रवेश करेगी। यह एक संकेत हैं कि हम यूक्रेन में सैन्‍य हस्‍तक्षेप नहीं करेंगे। अमेरिकी राष्‍ट्रपति का यह बयान जंग के समय काफी अहम है। उन्‍होंने इशारा किया है कि यदि रूस यह सोच रहा हो कि जंग लंबा चलने पर अमेरिका या नाटो देश अपनी फौज को यूक्रेन भेज सकते हैं, तो रूस को स्‍पष्‍ट हो जाना चाहिए। खास बात यह है कि रूस का यह बयान ऐसे समय आया है जब पुतिन ने अपने परमाणु बम की सैन्‍य टुकड़ी को हाई एलर्ट पर कर दिया था। इससे यह संकेत जाता है कि रूस और अमेरिका इस युद्ध को यूक्रेन के बाहर नहीं ले जाने के इच्‍छुक हैं। इसलिए एक महायुद्ध या विश्‍व युद्ध की संभावना नहीं दिखती है।

अगर रूस यूक्रेन को जीत लेता है तो क्‍या रूस की समस्‍या का समाधान हो जाएगा?

1- कतई नहीं। मुझे लगता है अगर रूस यूक्रेन को जीत भी लेता है तो रूस की मुश्किलें कम नहीं होंगी। यूक्रेन में जिस तरह से राष्‍ट्रवाद ने जन्‍म लिया है। उससे रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन एक खलनायक के रूप में उभरे हैं। यही कारण है कि यूक्रेन की राजधानी कीव में आम यूक्रेनी अपनी देश की सुरक्षा के लिए शस्‍त्रों के साथ सड़क पर उतर आए है। मान लो कि रूस ने यूक्रेन को जीतकर वहां अपनी मनपंसद की सरकार बनवा लेने में सफल हो जाता है तो उस रूस समर्थित सरकार का यूक्रेनी जनता में कितना विश्‍वास रहेगा। यह बड़ा सवाल है।

2- दूसरे, इस जंग के बाद अगर रूस अपनी सेना को यूक्रेन में छोड़ता है तो वहां राष्‍ट्रवाद और उग्र रूप धारण कर सकता है। यूक्रेनी जनता रूसी सैनिकों को अपने देश में कतई नहीं बर्दाश्‍त कर सकती हैं। यूक्रेन की राजनीति में रूसी दखल किसी भी सुरत पुतिन के लिए शुभ नहीं होगा। ऐसे में यूक्रेन में रूस के समक्ष एक नई तरह की चुनौती पैदा होगी। रूस और यूक्रेनियों के बीच एक नया संघर्ष पैदा होगा। यह रूस के लिए खतरनाक होगा। खासकर पुतिन की सत्‍ता के लिए धातक होगा। यह स्थिति तब उत्‍पन्‍न होगी जब युद्ध के बाद रूस एक अमेरिका और पश्चिमी देशों का कठोर प्रतिबंध झेल रहा होगा। यह रूस के लिए किसी बुरे दिन से कम नहीं होगा।

रूस यूक्रेन युद्ध में भारत की भूम‍िका सही है, क्‍या भारत मास्‍को का समर्थन करता रहेगा?

देखिए, भारत के 60 से 70 फीसद रक्षा उपकरण रूस के निर्मित हैं। सुरक्षा उपकरणों के लिहाज से भारत रूस पर काफी कुछ आश्रित है। ऐसे में भारत का रूस के पक्ष में झुके रहना लाजमी है। लेकिन यदि युद्ध लंबा चला तो भारत के लिए उहापोह की स्थिति और जटिल होगी। संयुक्‍त राष्‍ट्र में जिस तरह से रूस की निंदा हो रही है। रूस के खिलाफ दुनिया के अन्‍य मुल्‍क लामबंद हो रहे हैं। इससे भारत की मुश्किलें  भविष्‍य में बढ़ेंगी। भारत के पश्चिमी देशों और अमेरिका से काफी निकट संबंध है। ऐसे में भारतीय विदेश नीति के समक्ष अब तक की सबसे बड़ी चुनौती पेश हुई है। भारतीय विदेश नीति के लिए यह बड़ी चुनौती होगी कि वह संयुक्‍त राष्‍ट्र में रूस और अमेरिका को किस तरह से साधता है।

2- संयुक्‍त राष्‍ट्र के सख्‍त स्‍टैंड को देखते हुए चीन भी बहुत प्रखर रूप से रूस का समर्थन नहीं कर रहा है। चीन हर मंच से रूस के स्‍टैंड को जायज ठहराने के बजाए समस्‍या के समाधान के लिए वार्ता और शांति पर जोर दे रहा है। चीन ने किसी भी मंच पर रूस के जंग को जायज नहीं ठहराया है। चीन ने रूस के बजाए संयुक्‍त राष्‍ट्र के सुर में सुर मिलाया है। इसके पीछे चीन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र का दबाव है। ऐसे में रूस पूरी तरह से अलग-थलग पड़ता नजर आ रहा है। 

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top