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राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी पेरारिवलन को जमानत, 31 साल से था जेल में बंद

पेरारिवलन ने कोर्ट को बताया था कि उसे रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के आदेश को राज्यपाल और केंद्र मंजूरी नहीं दे रहे हैं. सज़ा माफ करने का उसका आवेदन भी बिना फैसले के अटका हुआ है.

राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि पेरारिवलन 30 साल से ज़्यादा समय से जेल में है. उसका आचरण लगातार बहुत अच्छा रहा है. उसकी रिहाई पर फैसला लेने में सरकार की तरफ से हो रही देरी के कारण उसे हमेशा जेल में नहीं रखा जा सकता.

पेरारिवलन ने कोर्ट को बताया था कि उसे रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के आदेश को राज्यपाल और केंद्र मंजूरी नहीं दे रहे हैं. सज़ा माफ करने का उसका आवेदन भी बिना फैसले के अटका हुआ है. जस्टिस एल नागेश्वर राव और बी आर गवई ने इन दलीलों को आदेश में दर्ज किया है.

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के लिए पेश एडिशनल सॉलिसीटर जनरल के एम नटराज ने पेरारिवलन की रिहाई के कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा कि दोषी को 1999 में फांसी की सज़ा मिली थी. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे उम्र कैद में बदल दिया था. इसके पीछे इस बात को आधार बनाया गया था कि राष्ट्रपति उसकी दया याचिका पर फैसला लेने में लंबा समय लगा रहे हैं. साथ ही, इस बात को भी आधार बनाया गया कि उसने काफी समय जेल में बिताया है. नटराज का कहना था कि जब एक बार दोषी को लंबे समय तक जेल में रहने के आधार पर रियायत मिल चुकी है, तो फिर दोबारा उसे इसी बात का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए.

एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ने यह भी कहा कि कानूनन पेरारिवलन की सज़ा माफ करने पर फैसला लेना केंद्र का काम है. कोर्ट को इस मामले में आदेश नहीं देना चाहिए. जजों ने इन दलीलों को नोट किया, लेकिन उन्होंने दोषी को जमानत पर रिहा करने को सही माना. कोर्ट का मानना था कि राज्य सरकार, राज्यपाल और केंद्र की शक्ति की व्याख्या से जुड़े इस मामले को बाद में विस्तार से सुना जाएगा. लेकिन तब तक दोषी को जेल में बंद रखना सही नहीं होगा.

21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में हत्या हुई थी. 11 जून 1991 को पेरारिवलन गिरफ्तार हुए. उस पर बम धमाके में काम आई 8 वोल्ट की बैटरी खरीद कर हमले के मास्टरमाइंड शिवरासन को देने का दोष साबित हुआ था. घटना के समय 19 साल के रहे पेरारिवलन ने जेल में रहने के दौरान अपनी पढ़ाई जारी रखी. उसने अच्छे नंबरों से कई डिग्रियां हासिल की. कोर्ट ने उसे ज़मानत देते हुए इन बातों को भी आदेश में जगह दी है.

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