Coronavirus कोरोना वायरस के मामले एक बार फिर बढ़ते नज़र आ रहे हैं। इसके पीछे कोविड के दो स्ट्रेन डेल्टाक्रॉन और स्टेल्थ ओमिक्रॉन बड़ी वजह हैं। आइए जानें इन दोनों के लक्षण क्या हैं और यह कैसे अलग हैं?
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus: SARs-COV-2 वायरस लगातार म्यूटेट कर रहा है, जिसकी वजह से नए-नए वेरिएंट दुनिया भर में क़हर बरपा रहे हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि वायरस म्यूटेट होने के लिए ही प्रोग्रेम्ड होते हैं, और इन्हें रोका नहीं जा सकता, जब तक हम इसके प्रसार पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लगा लेते।
इस वक्त कोविड-19 के दो वेरिएंट्स जो चर्चा में बने हुए हैं। पहला है डेल्टा और ओमिक्रॉन के मिलकर बना डेल्टाक्रॉन और दूसरा ओमिक्रॉन का सब-वेरिएंट BA.2, जिसे स्टेल्थ ओमिक्रॉन भी कहा जा रहा है। ये दोनों वेरिएंट ऐसे समय में सामने आए जब दुनिया भर में COVID-19 के मामले घट रहे थे। अब यह नए वेरिएंट मामलों के बढ़ने का कारण बन रहे हैं।
इसी बीच यह जानना भी ज़रूरी है कि यह दोनों वेरिएंट एक जैसे नहीं हैं। तो आइए जानें कि इन दोनों के बीच का फर्क क्या है।
कोविड-19 का नया वेरिएंट डेल्टाक्रॉन क्या है?
शुरुआत में, विशेषज्ञों और महामारी विज्ञानियों ने दावा किया कि वायरल पुनर्संयोजन के उदाहरण अत्यंत दुर्लभ होते हैं क्योंकि इस तरह के उत्परिवर्तन के प्रसार को साबित करने के लिए कोई सबूत मौजूद नहीं थे। इसके तुरंत बाद, WHO ने डेल्टा + ओमिक्रॉन के पुनः संयोजक वेरिएंट “डेल्टाक्रॉन’ के अस्तित्व को स्वीकार किया, जिसका पता फ्रांस में पाश्चर संस्थान ने लगाया था।
रिसर्च साइट MedRxiv पर प्रकाशित एक अध्ययन, जिसे कुछ हद तक CDC ने भी फंड किया था, के अनुसार, हाल ही में 22 नवंबर से 13 फरवरी के बीच एकत्र किए गए 29,719 पॉज़ीटिव कोरोना वायरस नमूनों को देखा गया। कुल मामलों में से , शोधकर्ताओं ने डेल्टाक्रॉन वायरस के दो मामले पाए।
BA.2 ‘स्टेल्थ’ ओमिक्रॉन से कैसे अलग है डेल्टाक्रॉन?
डेल्टाक्रॉन, डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों की आनुवंशिक सामग्री से बना एक हाइब्रिड वेरिएंट है, इससे बिल्कुल अलग, BA.2 ओमिक्रॉन का सब-वेरिएंट है, जिसमें इसके मूल सट्रेन से ज़्यादा म्यूटेशन हैं। WHO के अनुसार, कोविड के मामलों की सीक्वेंसिंग के दौरान 86 प्रतिशत मामले स्टेल्थ ओमिक्रॉन के माने जा रहे हैं।
इसलिए इसे मूल वेरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक और पारगम्य माना जा रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह वैक्सीन से मिली इम्यूनिटी को भी चकमा दे सकता है।
इस वक्त BA.1, BA.2, BA.3 and B.1.1.529 ओमिक्रॉन के सब-वेरिएंट्स के रूप में सामने आए हैं। इनमें से BA.1 का हाल ही में काफी दबाव था, और BA.2 यानी स्टेल्थ ओमिक्रॉन एशिया और यूरोप के कई देशों में बढ़ते कोविड मामलों की वजह बना हुआ है।
क्या इनके लक्षणों में किसी तरह का अंतर है?
अभी तक “डेल्टाक्रॉन” या बीए.2 सब-वेरिएंट की वजह से किसी तरह का असामान्य लक्षण रिपोर्ट नहीं किया गया है। संक्रमित लोगों में बुखार, खांसी, सिरदर्द, थकान और गंध या स्वाद की कमी जैसे सामान्य कोरोना वायरस लक्षण विकसित होने की सबसे अधिक संभावना है। गंभीर मामलों में, रोगियों को सांस की तकलीफ, सांस लेने में कठिनाई और सीने में दर्द हो सकता है।
BA.2 सब-वेरिएंट की बात करें, तो इससे गले में ख़राश, नाक बहना, छींकना, शरीर में दर्द आदि सहित ठंड लगने जैसे हल्के लक्षण महसूस हो सकते हैं।
बढ़ते कोविड मामलों के बीच कैसे सुरक्षित रहा जाए?
कोविड के मामले बार-बार बढ़ने के पीछे इसके नए वेरिएंट्स के अलावा हमारा कोविड प्रोटोकॉल्स को नज़रअंदाज़ करना भी है। कोरोना वायरस के मामले कम होते ही लोग मास्क पहनना बंद कर देते हैं, भीड़भाड़ वाले इलाकों में घूमते हैं। जबकि हमें यह याद रखना चाहिए कि कोरोना वायरस महामारी अभी ख़त्म नहीं हुई है। इसलिए मास्क पहनना, शारीरिक दूरी बनाए रखना और स्वच्छता का सख्ती से पालन करना ज़रूरी है।
कोविड वैक्सीन की सभी डोज़ लगवाना सबसे ज़रूरी है, जो लोग वैक्सीन बूस्टर के लिए योग्य हैं, उन्हें बिना देर किए इसे लगवा लेना चाहिए।