SEBI Order: अगले तीन महीने यानी जून 2022 तक म्यूचुअल फंड की कोई भी नई स्कीम नहीं लॉन्च होगी.
SEBI Order: अगले तीन महीने यानी जून 2022 तक म्यूचुअल फंड की कोई भी नई स्कीम नहीं लॉन्च होगी. बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने इस पर रोक लगा दी है. सेबी ने इस पर रोक निवेशकों के पैसे के साथ मौजूदा ट्रीटमेंट को लेकर लगाई है. अभी क्या होता है कि ब्रोकर्स और दूसरे इंटरमीडियरीज निवेशकों के पैसे को पहले अपने खाते में रखते हैं यानी पूल करते हैं और फिर इसे क्लीयरिंग कॉरपोरेशन या एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के पास भेजते हैं.
सेबी ने इसे लेकर पिछले साल अक्टूबर 2021 में इंडस्ट्री को आदेश दिया था कि यह प्रैक्टिस बंद होनी चाहिए और निवेशकों के खाते से पैसा सीधे म्यूचुअल फंड में जाना चाहिए. म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने इस निर्देश के अनुपालन को लेकर समय मांगा है और इसकी डेडलाइन पहले ही दो बार बढ़ चुकी है और एक बार फिर इसे जून तक बढ़ाया गया है.
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इस बार डेडलाइन बढ़ोतरी के साथ एक शर्त
सेबी पहले ही अपने निर्देशों के पालन की डेडलाइन दो बार बढ़ा चुकी थी और एक बार फिर बढ़ाया है लेकिन इस बार एक लिमिट भी तय कर दी है. इंडस्ट्री, इंटरमीडियरीज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस और पेमेंट गेटवेज सेबी के निर्देशों के अनुपालन के लिए फोकस हो सकें और बिना देरी के इसका पालन हो, इसके लिए फंड हाउस को नया फंड ऑफर (NFO) लॉन्च करने पर ही रोक लगा दिया है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (AMFI) के चेयरमैन और आदित्य बिरला सन लाइफ एएमसी के सीईओ ए बालासुब्रमनियन ने कहा कि सेबी पैसों की पूलिंग के मौजूदा सिस्टम को पूरी तरह से बदलना चाहती है. बालाासुब्रमनियन के मुताबिक अभी निवेश का अधिकतम हिस्सा मौजूदा स्कीमों से आ रही है तो सेबी के निर्देशों का पालन करने में अधिक दिक्कत नहीं होगी.
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स्टॉक ब्रोकर्स और क्लीयिरिंग मेंबर्स की सीमित हो जाएगी भूमिका
पिछले साल अक्टूबर में सेबी ने एक सर्कुलर जारी किया था. इसमें म्यूचुअल फंड ट्रांजैक्शन में शामिल इंटरमीडियरीज को एक मैकेनिज्म तैयार करने को कहा था ताकि निवेशकों के खाते से पैसे को क्लीयिरिंग कॉरपोरेशन तक सीधे पहुंचाया जा सके और निवेशकों को जब वापस पैसे भेजने हों तो सीधे निवेशकों के ही खाते में पहुंचे. इसका मतलब हुआ कि सेबी के निर्देशों के मुताबिक पे इन-पे आउट में स्टॉक ब्रोकर्स/क्लीयरिंग मेंबर्स इसे हैंडल नहीं कर सकेंगे. सेबी के इस निर्देश के अनुपालन के लिए बैंक, स्टॉक एक्सचेंज, पेमेंट गेटवेज और क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस को एसेट मैनेजमेंट कंपनीज (एएमसी) के साथ मिलकर युद्धस्तर पर काम करने की जरूरत है क्योंकि इसमें तकनीकी प्लेटफॉर्म, पेमेंट गेटवेज और ट्रांजैक्शन प्लेटफॉर्म में बदलाव होगा. अब नए फंड इश्यू करने पर रोक लगी है इंडस्ट्री अपनी सारी एनर्जी इसी पर फोकस करेगी.