Vastu Tips for Plot: घर बनाने के लिए प्लॉट खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, वरना पूरी जिंदगी उलट-पुलट हो सकती है. इसके लिए न केवल प्लॉट की दिशा, बल्कि उसके कोण, जमीन का पूर्व उपयोग आदि जानना जरूरी है.
Vastu Tips for Plot Selection in Hindi: प्लॉट खरीदना बड़ी जिम्मेदारी का काम होता है क्योंकि प्लॉट या भूखंड खरीदने में हुई वास्तु संबंधी कोई गलती भारी नुकसान पहुंचाती है. आज हम कुछ ऐसी ही बातों के बारे में जानते हैं, जो प्लॉट खरीदते समय जरूर ध्यान में रखनी चाहिए, वरना उस प्लॉट को ना तो रखना सही होता है और ना ही बेचना सही होता है.
नुकसान कराता है ऐसा प्लॉट
भूमि के दक्षिण में कुआं होना बहुत घातक होता है, ऐसे भूखंड में आकस्मिक दुर्घटनाएं होती हैं. और रहने वाले के पास कभी धन नहीं संचित हो पाता है. भूखंड के कोण समकोण होना अच्छा रहता है. प्लॉट के ईशान कोण के हिस्से का बढ़ा हुआ होना शुभ, वहीं दक्षिण और पश्चिम का बढ़ा हुआ होना अशुभ होता है.
भूखंड की आकृतियों में नैऋत्य यानी दक्षिण-पश्चिम में बढ़े हुए कोण वाली आकृति को अशुभ माना जाता है. जब की कोई प्लाट खरीदने जाएं तो इस बात को गांठ बांध लें कि नैऋत्य में बढ़ी भूमि नहीं लेनी है. अगर पहले से ही ऐसे भूखंड है तो उसको या तो त्याग देना चाहिए या फिर इस दिशा को समकोण कर लेना चाहिए. इसकी जो छोड़ी हुई जमीन है उसे अवश्य ही किसी को दान में दे देना चाहिए. क्योंकि भूखंड के इस टुकड़े को बेचना भी शास्त्र में वर्जित बताया गया है. हां, ईशान के अतिरिक्त आग्नेय, वायव्य में बढ़े हुए भूखंड को समकोण करके शेष बचे हुए भाग को विक्रय कर सकते हैं.
भूखंड का कोण कटा न हो
इसी तरह यह भी समझना आवश्यक है कि भूखंड का कोई भी कोण कटा हुआ ना हो. जिस प्रकार कोण वृद्धि से संबंधी देवता की शक्ति में वृद्धि होती है, ठीक उसी प्रकार कोणों के कटाव होने से उससे संबंधित देवताओं की शक्ति में ह्रास होता है. यदि किसी कोण में कटाव होगा तो भूखंड चौकोर नहीं रह जाएगा और ऐसे भूखंड पर निर्माण वास्तु शास्त्र में निंदित है.
कटा हुआ नैऋत्य कोण घातक नहीं
इस नियम का भी एक अपवाद है, एक ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि भूखंड नैऋत्य कोण कटा हुआ हो तो उस पर निर्माण करके निवास करना अशुभ नहीं है. कारण भी स्पष्ट है नैऋत्य कोण का अधिकार राहु के पास है, जिसे आसुरी शक्ति प्राप्त है. अनेक प्रकार से अनिष्ट का कारक भी यही है. इसलिए यदि नैऋत्य कोणों को छेदन होगा तो राहु की शक्ति कम होगी. अब ऐसे आवास में निवास करने वाले अंधविश्वासों से मुक्त रहते हैं. बाधाओं का भय नहीं होता, मन मलिन नहीं होता है. राहु के शक्तिहीन रहने से आत्मबल में बहुत वृद्धि होती है. इस कोण के कम होने से वास्तु पुरुष के सिर के अपेक्षा पैर छोटे होते हैं जो एक शुभ लक्षण माना जाता है.
वाइब्रेशन अच्छी हो
जिस तरह मनुष्य के चारों ओर एक प्रभामंडल रहता है, उसी तरह भूमि पर अलग- अलग वाइब्रेशन होती हैं. भिन्न- भिन्न तरंगे हैं और उसके पीछे कुछ दृश्य- अदृश्य कारण होते हैं. जैसे किसी भूमि पर सौ वर्ष पहले श्मशान रहा है, तो ऐसी भूमि की वाईब्रेशन कुछ ठीक नहीं होगी. अब ऐसी भूमि पर रहना कहीं से भी उचित नहीं होगा. यहां तक की कोई अस्पताल, कारागार, पुलिस थाना या ऐसा कोई स्थान जहां दुख और कष्ट का वातावरण कई सालों तक रहा हो और अब आप वहां आवास बनवाने जा रहे हैं तो ध्यान रखिए कि जहां वर्षों से पीड़ा की तरंगें प्रसारित होती रही हो, वहां भू स्वामी शांति नहीं पा सकेगा.
कुआं और पीपल का वृक्ष ठीक नहीं
भूखंड में कुआं या पीपल का वृक्ष होना ठीक नहीं है. ऐसे भूखंड का मुख्य द्वार वास्तु के अनुरूप न बनाया जा सके या फिर द्वार के सामने किसी प्रकार का अवरोध यानी वेध हो तो यथासंभव यह भूखंड त्याग देना चाहिए. ध्यान रहे कि भूखंड का उत्तर पूर्व हिस्सा नीचा व दक्षिण पश्चिम का हिस्सा ऊंचा हो तभी उसमें शुभता की वृद्धि होती है. अगर भूमि के दक्षिण में कुआं है तो यह अशुभ है. इस घर में आकस्मिक दुर्घटनाएं होती हैं. ऐसे भूखंड में रहने वाले के पास कभी धन नहीं संचित हो पाता है. भूखंड लेने के बाद निर्माण कराने के समय किस स्थान से किस मुहूर्त में निर्माण प्रारंभ किया जाए यह सुनिश्चित कर लेना भी आवश्यक होता है. निर्माण प्रारंभ से पूर्व भूमि परीक्षण भूखंड का शोधन व कंटक शोधन भी करा लेना चाहिए.