वन बीट गार्ड वन विलेज कार्यक्रम कम खर्च वाला है। इसके तहत पंचायत प्रतिनिधियों गैर सरकारी संगठनों सामाजिक व सरकारी संस्थानों के प्रतिनिधियों को शामिल कर गांवों में हरियाली लाना है। इन गांवों में वन रक्षक लक्ष्य को हासिल करने के लिए जिम्मेदार होगा।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर में हरियाली लाने की मुहिम और रफ्तार पकड़ेगी। वन बीट गार्ड वन विलेज कार्यक्रम के तहत इस वित्तीय वर्ष में प्रदेश के वन क्षेत्र के बाहर 1500 गांवों की जमीन पर पौधे लगाकर हरित पट्टी विकसित की जाएगी।
वन बीट गार्ड वन विलेज कार्यक्रम कम खर्च वाला है। इसके तहत पंचायत प्रतिनिधियों, गैर सरकारी संगठनों, सामाजिक व सरकारी संस्थानों के प्रतिनिधियों को शामिल कर गांवों में हरियाली लाना है। इन गांवों में वन रक्षक लक्ष्य को हासिल करने के लिए जिम्मेदार होगा। संबंधित गांवों या पंचायतों के सहयोग से वन रक्षक तीन से पांच साल तक समय के लिए काम करेगा। वन विभाग की हाल ही में हुई समीक्षा बैठकों में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने वन बीट गार्ड वन विलेज कार्यक्रम को सराहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से गांवों में हरियाली बढ़ेगी।
यह कार्यक्रम बारिश का पानी बचाने के जल शक्ति विभाग के अभियान का सहयोग करेगा। शहरी इलाकों में हरियाली बढ़ाने पर उपराज्यपाल ने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों, शैक्षिक संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों व सिविल सोसायटी सहयोग करेंगे जिससे शहरों में प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। कम लागत वाले तरीके से जम्मू कश्मीर में हरियाली लाने के लिए सरकार योजना पर काम कर रही है।
सामुदायिक भूमि पर पेड़ों व घास को बढ़ाया जाएगा। इन प्रयासों से लोगों की छोटी लकड़ी व घास की जरूरत पूरी होगी। वनों पर दबाव कम होगा। वनों के बाहर इलाकों में घास व चारे का उत्पादन बढ़ेगा। इससे कृषि वानिकी को बढ़ावा मिलेगा। इंडिया स्टेट आफ फारेस्ट रिपोर्ट 2021 की रिपोर्ट के तहत जम्मू कश्मीर में देश में वन क्षेत्र में कार्बन स्टाक सबसे अधिक है।
वन विभाग के आंकड़े
वर्ष इतने पौधे लगाए
- 2019-20 73.16 लाख
- 2020-21 101.98 लाख
- 2021-22 137.20 लाख
जम्मू कश्मीर में 42 तरह के वन : पिछले साल की तुलना में जम्मू कश्मीर में वन कवर में बीस प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। प्रदेश में 42 तरह के वन हैं। रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में यहां कुल वन क्षेत्र 10.46 प्रतिशत था जो साल 2022 में 39.66 प्रतिशत हो गया। साल 2021 में वन विभाग ने एक हजार गांवों को कार्यक्रम के अधीन लाया था। हर क्षेत्रीय वन डिवीजन ने 35 राजस्व गांवों को अपनाया।