सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया तो देश में खाद्यान्न संकट जैसी समस्या के कयास लगाए जाने लगे. इस पर वाणिज्य सचिव ने सामने आकर स्थिति स्पष्ट की और बताया कि निर्यात पर रोक लगाने का कारण दूसरा है. जल्द ही बाजार में इसका असर दिखना भी शुरू हो जाएगा.
नयी दिल्ली. निर्यात को बढ़ावा देने के नए-नए तरीके और नए देशों से संबंध स्थापित करने में जुटी मोदी सरकार ने जब अचानक गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया तो कई तरह के कयास लगाए जाने लगे. इस पर स्थिति स्पष्ट करते हुए वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि देश में गेहूं का कोई संकट नहीं है.
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सचिव के अनुसार, गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किसी अन्य कारण से लिया गया है. इसका देश में खाद्यान्न या गेहूं के संकट से कोई लेना देना नहीं है. इस पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले से घरेलू स्तर पर बढ़ रही कीमतों पर रोक लगाने और भारत के पड़ोसियों एवं कमजोर देशों की खाद्य जरूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी. अभी बाजार में गेहूं की खुदरा कीमत सरकार की ओर से तय एमएसपी से भी ज्यादा हो गई है.
सचिव ने कहा, सरकार ने तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है. हालांकि, निर्यात की खेप के लिए इस अधिसूचना की तारीख को या उससे पहले जो लेटर ऑफ क्रेडिट जारी किए जा चुके हैं, उन्हें निर्यात की अनुमति रहेगी. एक बार कीमतों में सुधार आता है तो सरकार इस फैसले की समीक्षा भी करेगी.
सरकारी और निजी स्टॉक में पर्याप्त गेहूं
सुब्रमण्यम ने कहा कि गेहूं निर्यात पर पाबंदी का फैसला सही समय पर लिया गया है. उन्होंने खाद्य एवं कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, गेहूं या अन्य खाद्यान्न के उत्पादन में कोई नाटकीय गिरावट नहीं है. मुझे नहीं लगता कि कोई संकट है जिसकी कल्पना करनी चाहिए. सरकारी स्टॉक और निजी स्टॉक में पर्याप्त खाद्य पदार्थ उपलब्ध है. यह प्रतिबंध सिर्फ कीमतों को नीचे लाने के लिए लगाया गया है.
जमाखोरी रोकना हमारा दूसरा लक्ष्य
सचिव ने कहा कि निर्यात पर रोक लगाने के पीछे कीमतों को थामने के अलावा जमाखोरी रोकना भी एक कारण है. रोक के नाम पर हम गेहूं व्यापार को एक निश्चित दिशा में ले जा रहे हैं. हम नहीं चाहते कि गेहूं की खरीद बिना नियंत्रण के हो और यह उन जगहों पर जाए जहां बस जमाखोरी हो रही या जहां इसका उपयोग उस उद्देश्य के लिए नहीं किया जाए जिसकी हम अपेक्षा कर रहे हैं.
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इस फैसले से देश के भीतर पर्याप्त खाद्य स्टॉक उपलब्धत कराने पर भी ध्यान दिया गया है. भोजन हर देश के लिए एक बेहद संवेदनशील मामला है, क्योंकि यह गरीब, मध्य और अमीर तीनों वर्गों को प्रभावित करता है. देश के कुछ हिस्सों में गेहूं के आटे की कीमतों में लगभग 40 फीसदी की तेजी आई है. सरकार पड़ोसियों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है. हमने अपने जरूरतमंद पड़ोसी देशों के लिए रास्ता खोल रखा है.
अब तक इतना हुआ निर्यात
सचिव ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में करीब 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया था जिसमें से लगभग 50 प्रतिशत बांग्लादेश को भेजा गया. चालू वित्त वर्ष में अब तक 23 लाख टन गेहूं निर्यात के लिए अनुबंध किए जा चुके हैं. इसमें से 12 लाख टन पहले ही अप्रैल और मई में निर्यात किया जा चुका है, जबकि बाकी 11 लाख टन गेहूं आने वाले समय में निर्यात किए जाने की उम्मीद है.