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धर्म

Shani Jayanti 2022: इस साल शनि जयंती पर बन रहे हैं कई शुभ संयोग, जानें पूजा का मुहूर्त

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इस साल शनि जयंती (Shani Jayanti) 30 मई को है. इस दिन सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) और वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) भी है. आइए जानते हैं इनके बारे में.

इस साल शनि जयंती 30 मई को है. शनि जयंती (Shani Jayanti) पर इस बार कई शुभ संयोग बन रहे हैं. मां छाया एवं सूर्य देव के पुत्र शनि देव का जन्म ज्येष्ठ अमावस्या के दिन हुआ था. हर साल इस तिथि को ही शनि जयंती मनाई जाती है. इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 29 मई रविवार को दोपहर 02:54 बजे से लग रही है, जो अगले दिन 30 मई सोमवार को शाम 04:59 पर समाप्त हो रही है. उदयातिथि के आधार पर शनि जयंती 30 मई को ही मनाई जाएगी. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं शनि जयंती पर बनने वाले शुभ संयोग के बारे में.

इस वर्ष शनि जयंती पर सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) और वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) का शुभ संयोग बन रहा है. इस दिन आप शनि देव की पूजा करने के साथ ही सोमवती अमावस्या के पुण्य लाभ को भी प्राप्त कर सकते हैं. इस दिन महिलाएं शनि देव की कृपा प्राप्ति और सोमवती अमावस्या के पुण्य के साथ ही अखंड सौभाग्य प्रदान करने वाले वट सावित्री व्रत का भी पुण्य लाभ प्राप्त करेंगी.

शनि जयंती पर सोमवती अमावस्या
ज्येष्ठ अमावस्या को श​नि जयंती है और इस बार की ज्येष्ठ अमावस्या सोमवार को होने के कारण सोमवती अमावस्या है. सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. सोमवती अमावस्या पर स्नान के बाद आप शनि देव से जुड़ी वस्तुओं काला तिल, छाता, काला या नीला वस्त्र, लोहा, स्टील के बर्तन, जूता-चप्पल, शनि चालीसा आदि का दान कर सकते हैं. इससे शनि कृपा के साथ आपको सोमवती अमावस्या का पुण्य भी प्राप्त होगा.

सोमवती अमावस्या के दिन पितरों की पूजा करने से पितर प्रसन्न होते हैं. उनके लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म, ब्राह्मण भोज आदि किए जाते हैं. पितरों के प्रसन्न होने से परिवार में सुख, शांति एवं संतान सुख प्राप्त होता है. इससे पितृ दोष दूर होता है.

वट सावित्री व्रत 2022
शनि जयंती के अवसर पर वट सावित्री भी है. इस व्रत को सुहागन महिलाएं रखती हैं. इस दिन सती सावित्री, सत्यवान एवं वट वृक्ष की पूजा करने की परंपरा है. पूजा के समय वट वृक्ष में कच्चा सूत लपेटा जाता है और वट सावित्री व्रत कथा को सुनते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावित्री ने अपने पतिव्रता धर्म से यमराज को प्रसन्न किया था, जिससे उनके पति सत्यवान फिर से जीवित हो गए थे. तब से ही वट सावित्री व्रत रखा जाता है.

पूजा का शुभ मुहूर्त
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 07 बजकर 12 मिनट से पूरे दिन
सुकर्मा योग: सुबह से रात 11 बजकर 39 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक
शनि जयंती, सोमवती अमावस्या और वट सावित्री व्रत के दिन सुबह से ही शुभ योग बन रहे हैं. हालांकि सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07:12 बजे से लग रहा है. ऐसे में आप सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा पाठ करें, तो ज्यादा फलदायी रहेगा.

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