Gyanvapi Masjid Survey Case: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्चुअल मीटिंग में कई महत्वपूर्ण फैसलों पर मुहर लगी है, जिसमें सबसे अहम यह है कि सभी ऐतिहासिक मस्जिदों की इंतजामिया कमेटी की जगह मामले की पैरवी बोर्ड करेगा. इतना ही नहीं ऐतिहासिक मस्जिदों में जुमे की नमाज के दौरान लोगों को जागरूक भी किया जाएगा. इस बैठक में असदुद्दीन ओवैसी, राबे हसनी नदवी समेत तमाम सदस्य मौजूद रहे.
लखनऊ. वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बड़ा फैसला लिया है. बोर्ड की वर्चुअल मीटिंग में तय हुआ है कि ज्ञानवापी मस्जिद केस को टेक ओवर करने के लिए एक लीगल कमेटी बनेगी. लीगल कमेटी के जरिये बोर्ड कानूनी तौर पर केस को टेक ओवर कर कोर्ट में उसकी पैरवी करेगा. जानकारी के मुताबिक दो से तीन दिन में लीगल कमेटी गठित हो जाएगी. इतना ही नहीं मथुरा और कर्नाटक समेत अन्य महत्वपूर्ण मस्जिदों के मामलों में भी पर्सनल लॉ बोर्ड पैरवी करेगा.
गौरतलब है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्चुअल मीटिंग में कई महत्वपूर्ण फैसलों पर मुहर लगी है, जिसमें सबसे अहम यह है कि सभी ऐतिहासिक मस्जिदों की इंतजामिया कमेटी की जगह मामले की पैरवी बोर्ड करेगा. इतना ही नहीं ऐतिहासिक मस्जिदों में जुमे की नमाज के दौरान लोगों को जागरूक भी किया जाएगा. इस बैठक में असदुद्दीन ओवैसी, राबे हसनी नदवी समेत तमाम सदस्य मौजूद रहे.
ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे पर जताई नाराजगी
इससे पहले वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद और उसके परिसर के सर्वे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने नाराजगी जाहिर की थी. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से जारी किए गए प्रेस नोट में कहा गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद और उसके परिसर के सर्वे का आदेश और अफवाहों के आधार पर वजूखाना बंद करने का निर्देश घोर अन्याय पर आधारित है और मुसलमान इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर सकते. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी ने अपने प्रेस नोट में कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद बनारस, मस्जिद है और मस्जिद रहेगी. उसको मंदिर बनाने का कुप्रयास सांप्रदायिक घृणा पैदा करने की एक साजिश से ज़्यादा कुछ नहीं. यह ऐतिहासिक तथ्यों एवं कानून के विरुद्ध है. 1937 में दीन मुह़म्मद बनाम राज्य सचिव मामले में अदालत ने मौखिक गवाही और दस्तावेजों के आलोक में यह निर्धारित किया कि पूरा परिसर मुस्लिम वक्फ बोर्ड की मिल्कियत है और मुसलमानों को इसमें नमाज अदा करने का अधिकार है. अदालत ने यह भी तय किया कि विवादित भूमि में से कितना भाग मस्जिद है और कितना भाग मंदिर है, उसी समय वजूखाना को मस्जिद की मिल्कियत स्वीकार किया गया.