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शेयर बाजार

Delhivery IPO: निवेशकों ने नहीं किया भरोसा, मगर अपने इश्यू प्राइस से ऊपर खुला शेयर

IPO

डेल्हीवेरी लिमिटेड का शेयर आज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर लिस्ट हो गया है. डेल्हीवेरी का इश्यू प्राइस 487 रुपये था. BSE पर यह स्टॉक 493 रुपये पर तो NSE पर इसकी लिस्टिंग 495.20 रुपये पर हुई है.

नई दिल्ली. लॉजिस्टिक्स एंड सप्लाई चेन स्टार्टअप डेल्हीवेरी लिमिटेड का शेयर आज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर लिस्ट हो गया है. लिस्ट होने से पहले ग्रे-मार्केट से अच्छे संकेत तो नहीं आ रहे थे, लेकिन इसकी लिस्टिंग अपने इश्यू प्राइस से ऊपर हुई है.

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डेल्हीवेरी का इश्यू प्राइस 487 रुपये था. BSE पर यह स्टॉक 493 रुपये पर तो NSE पर इसकी लिस्टिंग 495.20 रुपये पर हुई है. बाजार के जानकारों ने भी इस शेयर के डिस्काउंट पर खुलने की संभावना जताई थी. 24 मई को आई रिपोर्ट में कंपनी के नतीजों में रेवेन्यू 1.68 फीसदी बढ़ गया था.

नहीं मिला था निवेशकों का साथ

निवेशकों ने पहले दिन से ही इस कंपनी में भरोसा नहीं जताया था. हालांकि कंपनी को भी ऐसा अंदेशा था, इसलिए कंपनी ने अपने इश्यू साइज को कम भी किया था. पहले कंपनी 7,460 करोड़ रुपये जुटाना चाहती थी, लेकिन बाद में इश्यू साइज को कम करके 5,235 करोड़ रुपये कर दिया गया था.

13 मई इस आईपीओ के लिए अप्लाई करने का अंतिम दिन था. इस दिन तक यह 1.63 गुणा सब्स्क्राइब हो पाया था. एनएसई के आंकड़ों के मुताबिक, कुल 6,25,41,023 शेयरों के लिए

10,17,04,080 बोलियां मिली थीं. क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स का हिस्सा 2.66 गुणा भरा था, जबकि रिटेल कैटगरी में सिर्फ 57 फीसदी अप्लाई हुआ था. गैर-संस्थागत निवेशकों (Non-institutional investors) का 30 फीसदी हिस्सा भरा गया था.

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कंपनी ने नहीं बनाया मुनाफा

दिसंबर 2021 तक खत्म हुए 9 महीनों में कंपनी ने 891.14 करोड़ रुपये का लॉस किया और वित्त वर्ष 21 में इसने 416 करोड़ रुपये का नुकसान कमाया था. दिसंबर के अंत तक कंपनी की कमाई 4,911 करोड़ रुपये थे, जबकि वित्त वर्ष 21 के लिए कमाई 3,838 रुपये थी.

कंपनी ने वित्त वर्ष 2020 के 848 करोड़ रुपये के नेगेटिव कैश फ्लो की तुलना में 2021 में 246 करोड़ रुपये का नेगेटिव कैश फ्लो रिपोर्ट किया. इसी समय के दौरान, लागत में काफी बढ़ोतरी हुई. यह 2020 में 2,026 रुपये के मुकाबले 2021 में 3,480 करोड़ रुपये हो गई, जबकि वित्त वर्ष 2022 के पहले 9 महीनों में यह 4,000 करोड़ का आंकड़ा छू चुकी है.

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