All for Joomla All for Webmasters
बिज़नेस

सरकार का बड़ा फैसला- सस्‍ते होंगे पेट्रोल-डीजल और हवाई ईंधन! कंपनियों पर 13 रुपये प्रति लीटर तक लगाया निर्यात टैक्‍स

crude_oil

सरकार ने घरेलू बाजार में ईंधन की सप्‍लाई सुचारू रखने और कीमतों पर लगाम लगाने के लिए बड़ा फैसला किया है. तेल रिफाइनरी कंपनियों को अब पेट्रोल के निर्यात पर 6 रुपये लीटर और डीजल के निर्यात पर 13 रुपये प्रति लीटर का अतिरिक्‍त टैक्‍स देना होगा. इससे निर्यात कम होगा और घरेलू बाजार में कीमतें नीचे आएंगी.

नई दिल्‍ली. घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल और हवाई ईंधन की कीमतों में कमी लाने के लिए सरकार ने आज बड़ा फैसला किया है. इन उत्‍पादों के निर्यात पर अब कंपनियों को ज्‍यादा टैकस चुकाना पड़ेगा. यह कदम रिफाइन किए गए पेट्रोल-डीजल के निर्यात को घटाने के लिए उठाया है.

ये भी पढ़ें- RBI गवर्नर शक्तिकान्त दास ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर 9वीं बार आगाह किया, कहा- यह एक स्पष्ट खतरा है

सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, 1 जुलाई से पेट्रोल, डीजल और एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) का निर्यात करने पर अतिरिक्‍त टैक्‍स देना होगा. सरकार ने पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात पर 6 रुपये प्रति लीटर का निर्यात टैक्‍स लगाया है, जबकि डीजल का निर्यात करने पर 13 रुपये प्रति लीटर टैक्‍स देना होगा.

अगर देश में उत्‍पादन होने वाले क्रूड ऑयल का बाहर निर्यात किया जाता है तो कंपनियों को प्रति टन 23,230 रुपये का अतिरिक्‍त टैक्‍स देना होगा. यह कदम ग्‍लोबल मार्केट में कच्‍चे तेल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए घरेलू उत्‍पादन को बाहर जाने से रोकने के लिए उठाया गया है.

कुछ उत्‍पादकों को छूट भी
सरकार ने कहा है कि एक्‍सपोर्ट पर फोकस करने वाली रिफाइनरीज को नए टैक्‍स से छूट रहेगी, लेकिन उन्‍हें अपने उत्‍पादन का 30 फीसदी डीजल पहले घरेलू बाजार में बेचना होगा. इसके अलावा जो छोटे उत्‍पादक हैं और जिनका पिछले वित्‍तवर्ष में कुल उत्‍पादन 20 लाख बैरल से कम रहा, उन्‍हें भी नए नियमों से छूट प्रदान की जाएगी. घरेलू उत्‍पादन को बढ़ावा देने के लिए पिछले साल के मुकाबले ज्‍यादा तेल उत्‍पादन करने वाली कंपनियों अतिरिक्‍त उत्‍पाद पर भी सेस नहीं लगाया जाएगा.

ये भी पढ़ें- अमेरिकी डॉलर के मुकाबले क्यों गिरता जा रहा है रुपया, आम आदमी और अर्थव्यवस्था पर क्या होगा इसका असर | Explained

निजी क्षेत्र की कंपनियों पर ज्‍यादा असर
सरकार ने कहा है कि निजी क्षेत्र की रिफाइनरियां अपने उत्‍पादों का ज्‍यादातर हिस्‍सा निर्यात करती हैं. लिहाजा इस फैसले का सबसे ज्‍यादा असर भी उन्‍हीं पर होगा. पिछले कुछ समय से डीजल का निर्यात अचानक काफी बढ़ गया है, जिस पर लगाम कसना बेहद जरूरी है. मैंगलोर और चेन्‍नई स्थित रिफाइनरी की घरेलू आपूर्ति में 8 फीसदी की गिरावट आई है. इसके अलावा ओएनजीसी और वेदांता में भी 5 फीसदी की गिरावट देखी जा रही. इससे घरेलू बाजार में ईंधन की सप्‍लाई पर असर पड़ रहा है.

गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में देश के कई हिस्‍सों में पेट्रोल पंप पर ईंधन की किल्‍लत हो गई थी. पंप डीलर्स का कहना था कि रिफाइनरी कंप‍नियों की ओर से पर्याप्‍त सप्‍लाई नहीं की जा रही है. इसके बाद सरकार को मामले में हस्‍तक्षेप करना पड़ा था, जिसके बाद पेट्रोल-डीजल की सप्‍लाई सामान्‍य हो सकी थी.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top