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उत्तर प्रदेश

ज्ञानवापी मामलाः अब सुनवाई 12 जुलाई को, बड़ा फैसला आने की उम्मीद

Gyanvapi Case: वाराणसी कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई के बाद अगली तारीख तय कर दी गई. इससे पहले गर्मियों की छुट्टियां होने के चलते ही 4 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय की गई थी.

वाराणसी. ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर वाराणसी कोर्ट में दायर याचिका की गर्मियों की छुट्टियों के बाद एक बार फिर सुनवाई शुरू हुई. सोमवार को हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले में 12 जुलाई की अगली तारीख दी है. अब अवकाश के दिन छोड़ नियमित सुनवाई का निर्णय होने के बाद जल्द ही कोई बड़ा फैसला आ सकता है. गौरतलब है कि गर्मियों की छुट्टियों से पहले कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 4 जुलाई की तारीख तय की थी. वहीं मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर एक और याचिका की सुनवाई 17 जुलाई को होगी. उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी मामला पूरे देश में काफी गर्माया हुआ था. यहां पर स्थित वजूखाने में कथित शिवलिंग मिलने के बाद मामले की चर्चा देशभर में शुरू हुई थी. हिंदू पक्ष ने वहां पर पूजा करने का अधिकार देने की मांग भी की थी.

वहीं सोमवार को सुनवाई से पहले केस के पैरोकार विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र बिसेन ने ऐलान करते हुए कहा कि मामले से जुड़े सभी अधिवक्ताओं का वकालत नामा निरस्त होगा. अधिवक्ता हरिशंकर जैन से लेकर जितने भी अधिवक्ता है उनका वकालतनामा निरस्त कर नए तरीके से अधिवक्ताओं का चयन किया जाएगा. अधिवक्ताओं पर उन्होंने केस का क्रेडिट लेने का अरोप लगाया. उन्होंने कहा कि 26 मई से पहले हरिशंकर जैन और विष्णु जैन का केस में कोई योगदान नहीं रहा है. पैरोकार होने के नाते केस जिताने वाले अधिवक्ता का चयन करने का उन्हें पूरा अधिकार है.

गौरतलब है कि एक महीने पहले मुस्लिम पक्ष की ओर से 26 पॉइंट्स पर दलीलें दी गई थीं और केस को ख़ारिज करने की मांग की गई थी. गर्मी की छुट्टियों की वजह से कोर्ट ने सुनवाई 4 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी थी. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 07 नियम 11 के तहत वाद पर सुनवाई करने के लिए जिला जज को आदेशित किया है. इसके बाद जिला जज अब सबसे पहले इस केस की पोषणीयता पर सुनवाई कर रहा है. जिला सरकारी अधिवक्ता महेंद्र प्रसाद पांडेय ने बताया कि 30 मई को हुई सुनवाई में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से केस की पोषणीयता पर बहस पूरी नहीं हुई थी.

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