Share Market Rules: सूत्रों की मानें तो मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) जल्द शेयर बाजार से जुड़े कुछ नियमों में बदलाव करने की तैयारी कर रहा है. सेबी अब रिसर्च एनालिस्ट और इनवेस्टमेंट एडवाइज रेगुलेशंस पर नए सिरे से विचार कर रहा है.
Share Market Rules: अगर आप भी इक्विटी या म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो यह खबर आपके काम की है. मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) की तरफ से रिसर्च एनालिस्ट और इनवेस्टमेंट एडवाइज रेगुलेशंस पर नए सिरे से विचार किया जा रहा है. सहयोगी वेबसाइट जी बिजनेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार नियमों को और ज्यादा स्पष्ट करने के लिए सेबी की तरफ से विचार किया जा रहा है.
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पूरे मामले पर कंसल्टेशन पेपर लाया जाएगा
जी बिजनेस को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूरे मामले पर कंसल्टेशन पेपर लाया जाएगा. इससे जिन पहलुओं पर कंफ्यूजन की स्थिति है उसे दूर किया जा सकेगा. सेबी के मानना है कि बदलते समय के साथ नियमों में बदलाव जरूरी है. मार्केट रेगुलेटर की तरफ से यह विचार किया जा रहा है कि क्या रिसर्च एनालिस्ट और इनवेस्टमेंट एडवाइजर रेगुलेशंस का मर्जर किया जा सकता है?
सोशल मीडिया पर भी हुई थी बहस
सेबी ने एक निर्देश में कहा कि रिसर्च एनालिस्ट मॉडल पोर्टफोलियो की सेवाएं नहीं दे सकते. इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस हुई थी. इस तरह की रिसर्च रिपोर्ट साझा करने वाली कंपनियां का कामकाज भी इससे प्रभावित हुआ. इतना ही नहीं कई रिसर्च एनालिस्ट कंपनियों ने पोर्टफोलियो प्रोडक्ट सर्विस की मार्केटिंग तक बंद कर दी थी.
एडवाइजर्स बढ़ाने के पक्ष में सेबी
सेबी की मंशा है कि रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट और इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स की संख्या को बढ़ाया जाए. दरअसल, रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट और इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स की संख्या काफी कम है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2021 तक देश में प्रति 76,510 डीमैट खाताधारक निवेशकों पर एक रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर हैं. रिसर्च एनालिस्ट की संख्या तो और भी कम है.
रजिस्टर्ड एनालिस्ट की संख्या काफी कम
सेबी रजिस्टर्ड एनालिस्ट की संख्या काफी कम है. कई बार कंप्लायंस और बाकी जिम्मेदारियां नहीं लेने के चक्कर में सेबी से रजिस्टर ही नहीं कराते. हालांकि, जानकार यही परामर्श देते हैं कि सेबी रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट और निवेश सलाहकारों पर ही भरोसा करें. कुछ भी गलत होने पर इनके खिलाफ कार्रवाई करना आसान रहता है.
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सेबी के नियमों में बदलाव को लेकर चर्चा लंबे समय से हो रही है. लेकिन, हाल के एक ऑर्डर के बाद इसकी जरूरत ज्यादा महसूस की गई. दरअसल, सेबी ने स्टैलियन असेट मैनेजमेंट पर आर्डर पास किया था. जिसमें सेबी ने ये साफ किया था कि रिसर्च एनालिस्ट पोर्टफोलियो सर्विस नहीं दे सकते, बल्कि ये सर्विस केवल इनवेस्टमेंट एडवाइजर ही दे सकते हैं.